Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयो-१, अन्यणं-३ र-पोयगं पासित हट्टतुट्टे मयूर-पोसए सहावेइ सद्दावेत्ता एवं बयासी तुम्मे णं देवागुप्पिया इमं मयूरयहूहिं मयूरपोसण- पाओगेहिं दव्वेहिं अनुपुव्वेणं सारक्खमाणा संगोवेमणा संवडूढेह नदुल्लागं च सिक्खाबेह ते णं ते मयूर-पोसगा जिणदत्तपुत्तस्स एयमहं पडिसुणेति तं मयूर पोयगं गेहति जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति तं मयूर-पोगगं जाव नदुल्लगं च सिक्खावेंति तए णं से मयूर-पोयए उम्मुक्क- बालभावे विण्णय-परिणयमेते जोव्बणगमणुपत्ते लक्खण-वंजण-गुणोववेए माणुम्माणप्पमाण- पडिपुन्नपक्ख पेहुणकलावे विचित्तपिच्छसतचंदए नीलकंठए नचणसीलए एगाए चप्पुडिवाए कयाए समाणीए अणेगाई नदुल्लगसयाई केकाइयसयाणि य करेमाणे विहरइ तए णं ते मयूर - पोसगा तं मयूर-पोवगं उम्मुक्कबालभावं जाच केकाइयसयाणि य करेमाणं पासित्ता णं तं मयूर - पोयगंगेव्हंति गण्हिता जिणदत्तपुत्तस्स उवणेंति तए णं से जिणदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए मयूर-पोयगं उम्मुक्कवालभावं जावं कंकाइयसयाणि य करेमाणं पासिता हट्टतुट्टे तेसिं विपुलं जीविबारिहं पीइढाणं दलयइ दलइत्ता पडिविसोई नए णं से मयूर पोय जिणदत्तपुत्तेणं एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए नंगोला-भंग-सिरोधरे सेयावंगे ओयारिचं-पइण्णपक्खे उक्खित्तचंद- काइय-कलावे केक्काइयसयाणि मुंचमाणे इ तए णं से जिणदत्तपुत्ते तेणं मयूर्-पीयएणं चंपाए नवरीए सिंघाडग-जाब पहेसु सएहि य साहसिएहि य रायसा- हस्सिएहि य पणिएहिं जयं करेमाणे विहरइ एवामेव समणाउसो जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंधी वा आयरिय उवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पच्चइए समाणे पंचमहत्वएसु छजीवनिकाएस निग्गंथे पावपणे निर्माकिए निक्कखिए निच्वितिगिछे से गं इहभवे चैव बहूण समणाणं | बहूणं समणीणं बहूणं सावगाणं बहूणं सावियाण य अवणिजे वंदगिज्जे नगंसणिजे पूर्वणिजं मक्कारणिजे सम्पाणणिजे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइथं विणएणं पञ्जुवासणिजे भवइ परलोए वि य णं नो बहूणि हृत्यच्छेयणाणि य कण्णच्छेयाणाणि य नारायणाणि य एवं हिययउपायणामि य वसणुप्पावाणि य उल्लंवणाणि य पाविहिइ पुणो अणाइयं च णं अणवगं दीमद्धं चाउरतं संसारकंताएं बीईवइस्सइ एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं तित्यगरेणं जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपरोणं तच्चस्स नायज्झणस्स अवमट्ठे पत्ते त्ति बेपि ॥५६/-50 ४५ • पढमे सुयवखंधे तइअं अायणं समत्तं ● उत्थं अज्झणं- कुम्मे (६२) जइ णं भंते समणं भगवया महावीरेणं तस्स नायज्झयणस्स अयमद्वेपन्नत्ते चउत्थस्स णं भंते नाथज्झयणस्स के अड्डे पनते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेगं समएणं वाणारसी नामं नयरी होत्या वण्णओ तीसे णं वाणारसीए नवरीए उत्तरपुरत्थिमे दिसीमाए गंगाए महानईए मवंगतीरद्दहे नाम दहे होत्था - अनुपुव्वसुजायवप्प-गंभीरसीयलजले अच्छ - विमल-सलिल - पलिच्छण्णे संछण्णं-पत्त-पुष्फ-पलासे बहुउप्पल पउम कुमुय-नलिण-सुभग- सोगंधिय-पुंडरीय- महापुंडरीय सयपत्त-सहरसपत्त-केसरपुप्फोवचिए पासाईए दरिसणिजे अभिरूवे पडिरूवे तत्थ णं बहूणं मच्छाण य कच्छभाण य गाहाण य मगराण व सुंसुमाराण य सयाणि य सहस्साणि य सय सहस्त्राणि य जूहाइं निभाई निरुव्विग्गाई सुहसुहेणं अभिरममाणाई - अभिरममाणाई विहरंति तस्स णं मयंगतीरद्दहस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे मालुयकच्छए होत्ता वण्णओ तत्थ णं दुवे पावसि For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182