Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुपखयो- १,
अध्ययण- १
(३८) तए णं तुमं मेहा आणुपुब्वेणं गन्धवासाओ निक्खंते समाणे उम्मुक्कबालभावे जोव्वणगमणुपते मम अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तं जइ ताव तुमे मेहा तिरिक्खजोणियभाचमुवगणं अपडिलद्ध-सम्पत्तरयणलंभेणं से पाए पाणाणुकंपयाए [ भूयाणुकंप- थाए जीवाणुकंपयाए। सत्ताणुकंपवाए अंतरा चैव संधारिए नो चेव णं निक्खित्ते किमंग पुण तुपं मेहा इयाणि विपुलकुलसमुदभवे णं निरुवहयसरीर-दंतलद्वपंचिदिए णं एवं उड्डाण - वलवीरिय- पुरिसगार - परक्कमसंजुत्ते णं मम अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए समाणे समणाणं निग्गंथाणं राओ पुव्यरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए [पुच्छणाएं परियट्टाए। धम्मणुओ- गचिंताए य उच्चारस्स वा पासवणस्स वा अइगच्छामाणाण य निग्गच्छमाणाण व हत्यसंघट्टणाणि यपायसंघट्टणाणि य [सीससंघट्टणाणि य पोट्टसंघट्टणाणि य कायसंघट्टणाणि व ओलंडणाणि व पोलंडणाणि य पाय | - रय-रेणु-गुंडगाणि य नो सम्मं सहसि खमसि तितिक्खसि अहियासेसि तए णं तस्स मेहस्स अणगारस्स समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए एयमहं सोचा निसम्म सुभेहिं परिणामेहिं पसत्येहिं अज्झवसाणेहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तयावरणिजाणं कम्माणं खओवसणं ईहापूर- मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स सग्णिपुचे जाईसरणे समुप्पन्ने एयम सम्मं अभिसमेइ तए णं से मेहे कुमारे समणेणं भगवया महावीरेणं संभारियपुचभवे दुगुणाणीयसंवेगे आणंद सुपुत्रमुहे हरिसवस [विसप्पमाण हिचए] धाराहयकलंचकं पिव समूससियरोमकूवे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ बंदित्ता नमसित्ता एवं बवासी अजयपित्ती णं भंते मम दो अच्छीणि मोत्तूणं अवसेसे काए समणाणं निग्गंथाणं निसट्टे ति कट्टु पुणरवि समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नर्मसिता एवं क्यासी- इच्छामि णं भंते इयाणि दोचंपि सयमेव पचावियं [सवमेव मुंडावियं सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं सयमेव आयार-गोयरं जायामायारत्तियं धम्पमाइक्खियं तए णं सपणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पव्वावेई जाव करण जायामायावत्तियं धम्पमाइक्खइ एवं देवाणुप्पिया गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं एवं निसीयव्वं एवं तुट्टियव्वं एवं भुंजियध्वं एवं भासियव्वं एवं उड़ाए उड्डाय पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजयेणं संजमियव्वं
२९
नए णं से मेहे समणस्स भगनओ महावीरस्स अयमेयारूवं धम्मियं उवएसं सम्मं पडिच्छइ पच्छिता तह गच्छइ तह विट्ठइ तह निसीयइ तह तुयदुइ तह भुंजइ तह मासइ तह उठाए उठाय पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सत्तेहिं । संजमेणं संजमइ तए णं से मेहे अणगारे जाए-इरियासमिए ( भासासमिए एमणासमिए आयाण मंड-मत्त- निक्खेवणासमिए उच्चार- पासवण - खेल - सिंघाणजल्ल पारिड्डावणिआसमिए मणसमिए वइसलिए कायसमिए मणगुते वइगुत्ते कायमुत्ते गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तभयारी वाई लजू धत्रे खंतिखमे जिइदिए सोहिए अणियाणे अप्पुस्सुए अबहिल्लेसे सुसामण्णरए दंते इणमेव निग्गंधं पावयणं पुरओकाउं विहरति । तए जं से मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं घेराणं अंतिए सापाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिजित्ता बहूहिं छट्टमदसम- दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नयराओ गुणसिलाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमिता बहिया जण- वयविहारं विहरइ । ३३1-28
(३९) तए णं से मेहे अणगारे अण्णया कयाइ समण भगवं महावीरं वंदन नमंसइ वंदित्ता
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