Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुयक्खंघो-१, अजायणं-१ भासरासिपरिच्छन्ने तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अईय-अईव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्यगरे जाव पुव्वाणुपुटिय चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नयरे जेणापवे गुणसिलए चेइए तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ तए णं तस्स मेहस्स अणगारस्स राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयपेयास्वे अन्झथिए [चिंतिए पत्थिए पणोगए संकप्पे समुप्पञ्जित्था एवं खलु अहं इसेणं ओरालेणं [विपुलेणं सस्सिरीएणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कालाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं उदगेणं उदारेणं उत्तमेणं पहाणुभावेणं तवोकप्मेणं सुकके लुक्खे निम्मंसे किडिकिडियाभूए अद्विवमावणद्धे किसे धमणिसंतए जाए यावि होत्था-जीवंजीवेणं गच्छामि जीवंजीवणं चिट्ठामि भासं भासित्ता गिलामि भासं यासमाणे गित्लामि भासं भासिस्सामि त्ति गिलाणि तं अत्यि ता में उठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकार-परक्कमे सद्धा-घिइ-संवेगे जाव य मे धमायरिए धम्पोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहस्थि विहरइ ताव ता मे सेवं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्विवम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणवरे तेयसा जलंते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता समणेणं भगवया महावीरेणं अभणुण्णावस्स समाणस्स सयमेव पंच महच्ययाइं आसहित्ता गोवादीए समणे निग्गंथे निग्गंधीओ य खापेत्ता तहारूवेहि कडाईहिं थोहिं सद्धि विउलं पव्वयं सणियं-सणियं दुरुहिता सयमेव मेहघणसण्णिगासं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहित्ता संलेहणाशूसणा-झूसियस्स भत्तपाण-पडियाइक्खियस्स पाओवगवस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरितए
एवं संपेहेइ संपेहेता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिस्तो आयाहिण-पायाहिणं कोई करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता नचासण्णे नाइदूरे सुम्समाणे नसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पजुवासइ मेहा इ समणे भगवं महावीरे मेहं अणगारं एवं वयासी-से नूणं तव मेहा राओपुचरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अन्झथिए जाव संकप्पे समुप्पञ्जित्था एवं खलु अहं इमेणं ओरालेणं तबोकम्मेणं सुक्के जाव जेणेव इहं तेणेव हव्यमागए से नूणं मेहा अढे समटे हंता अस्थि अहासुहं देवाणप्पिया मा पडिबंध करेहि तए णं से मेहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अभणुण्णाए समाणे हट्टतुट्ठ-चितमाणदिए जाव हरिसवस-विसप्पमाणहियए उठाए उठेइ उठेत्ता समणं पगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता यंदइ नमसइ यंदित्ता नमंसित्ता सयमेव पंच महब्बयाई आरुहेइ आरुहेत्ता गोयमादीए समणे निगंथे निग्गंधीओ य खामेइ खामेत्ता तहारूवेहि कडादीहिंधेरेहिं सद्धि विपुलं पचयं सणियं-सणियं दुरुहइ दुरुहित्ता सयमेव मेहघंणसण्णिगासं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहेइ पडिलेहेत्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहइ पडिलेहेत्ता दमसंपरागं संघरइ संधरित्ता दब्यसंथारगं दुरुहइ दुरुहित्ता पुरत्याभिमुहे संपलियंकनिसपणे करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कड्ड एवं वयासी-नमोत्थु णं अरहंताणं जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपत्ताणं नमोत्यु णं समणस्स जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स यंदामिण भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे भगवं तत्यघए इहगयं ति कह वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसिता एवं वयासी-पुब्धि पि य ण मए सरणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्ये पाणाइवाए
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