Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १३ उ०६ सू० ४ अभी जित्कुमारचरितनिरूपणम् ५९
भंते ! अभीयी देवे ताओ देवळोगाओ आउक्खणं भवक्खपणं, ठिक्खणं अनंतरं उच्चहिता कहिं गच्छदिय ? कहिं उववज्जिहिए ?' हे भदन्त । स खलु अभीतिर्देवस्तस्माद् देवलोकात् आयुः क्षयेण भगक्षयेण स्थितिक्षण, अनन्तरम् उद्वृत्य, कुत्र गमिष्यति ? कुत्र स्थाने उपपत्स्यते ? भगवानाह - ' गोयमा ! महाविदेहे वासे सज्झिहि जाव अंत काहिय ' हे गौतम! अभीतिकुमारो देवः, महाविदेहे वर्षे' सेत्स्यति यावत् - भोत्स्यते, मुच्यते सर्वदुःखानामन्तं करिष्यति । अन्ते गौतमः ! कथयति - सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ' हे भदन्त । तदेवं भवदुक्तं सत्यमेव, हे भदन्त ! तदेवं भवदुक्तं सत्यमेव भवतोक्तं वर्तते इति भावः ॥ ५०४ ॥ इति त्रयोदशशतके षष्ठोद्देशकः सम्पन्नः ॥१३-६॥
ताओ देवलगाओ, आउक्खएणं भवक्खएणं, ठिइक्खणं, अनंतरं उववहिता कहि गच्छिहिर कहिं उववज्जिहिइ ' हे भदन्त ! वह अभीजितदेव उस देवलोक से आयुक्षय से, भवक्षय से, और स्थिति क्षय से चक्कर कहां जायेगा ? कहां उत्पन्न होवेगा ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'गोमा' हे गौतम! 'महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, जाव अंत काहिइ' अभिजितकुमार देव महाविदेहक्षेत्र में सिद्ध होगा और समस्त दुःखों का अंत करेगा। यहां यावत् शब्द से 'भोरस्ते, मुच्यते, सर्वदुःखानाम्' इन पदों का ग्रहण हुआ है। अब अन्त में गौतमप्रभु से कहते हैं- 'सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' हे भदन्त ! आपका कहा हुआ यह सब सत्य ही है, हैं भन्दत ! आपका कहा हुआ यह सब सत्य ही है । सू० ४ ॥
जैनाचार्य जैनधर्मदिवाकर पूज्यश्री घासीलालजी महाराज कृत "भगवती सूत्र " की प्रमेयचन्द्रिका व्याख्या के तेरहवें शतक का षष्ठो उद्देशक समाप्त ॥ १३-६ ॥
ગૌતમ સ્વામીના प्रश्न- " से णं भंते ! अभीथिदेवे ताओ देवलोगाओ, आउक्खणं, भवखरण' ठिइक्खएण, अनंतरं उच्चट्ठित्ता कहिं गच्छहिइ कहि उववज्जिहि " हे भगवन् ! ते अलीभित देव ते देवसेना आयुनो क्षय થવાથી, ભવક્ષય થવાથી, સ્થિતિ ક્ષય થવાથી, ત્યાંથી ચ્યવીને કર્યાં જશે? કાં ઉત્પન્ન થશે ?
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महावीर अलुना उत्तर- " गोयमा ! " हे गौतम! " महाविदेहे वासे विज्झिहिइ, जाव अंतं काहिइ" अलीभितकुमार महाविदेह क्षेत्रमा मनुष्य રૂપે ઉત્પન્ન થઈ ને સિદ્ધિ પામશે અને સમસ્ત દુ:ખાથી રહિત બની જશે, सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति " गौतम स्वामी मुडे छे हे भगवन् ! आपनु કથન સત્ય છે હે ભગવન્! આપની વાત સવથા સત્ય જ છે. સૂજા જૈનાચાય જૈનધમ દિવાકર પૂજ્યશ્રી ઘાસીલાલજી મહારાજ કૃત “ભગવતીસૂત્ર”ની પ્રમેયચન્દ્રિકા વ્યાખ્યાના તેરમા શતકના છઠ્ઠો ઉદ્દેશ। સમાસ ૫૧૩-૬।।
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૧