Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१२६८
बिहयं परिसिटुं सहो पिट्ठ-पंतीए । सदो
पिट्ठ-पंतीए एग ३४-२२, १४७-१२, २१४-४, एगतो= एकतः
५४२-१० ३०५-८,४०७-९,५२८-१३, एगतोवंका [सेढी] ९८६-१२, ११२५-१५, ६२३-१६, ७०२-११,८११
११२८-२४, ११३२-२ ३, ९०५-१४, १०२२-१५, एगत्त १६-९, २०९-६, ६०४-१९, ११८४-१०
६०५-५, ७७६-१७, ७९३ तः एगइय ११-९, १५९-५, २०१-११,
७९९ पृष्ठेषु, ९९३-८ ३११-१९, ४०९-१४,५५३- एगत्तपोहत्तिय
१६-९ ११, ६४६-२१, ७२०-६, एगत्तय
८६८-२३, ८६९-२१ ८४०-२, १०४८-८, एगत्तवियक
१०६७-१४ ११३५-१२ एगत्ताणुपेहा
१०६७-१२ एगओखहा [सेढी] ९८६-१२ एगत्तीकरण
१०३-२ एगओचक्कवालं १६१-८ एगत्तीगय
३८३-१० एगओजण्णोवइतं
१६४-७ एगत्तीभावकरण ४५२-१६, १०६३-१४ एगओपडागं १६०-१३, १६४-१ एगत्तीभावकरणता
६३०-१८ एगओपलियकं १६४-१६ एगदिवस
५५२-१६ एगओपल्हत्थियं
१६४-१३ एगदेस ६९२-६, ६९३-१०, ६९४-१ एगओवंका [सेढी
११२५-१५ एगनाणि ३३७-२२, ३३८-३, ३३९-४, एगखुर
७३८-२६
३४३-१९,३४४-१२, ३४६एगगंध ५९१-९, ८१४-८, ८५८ तः
८, ३४७-३ ८६१ पृष्ठेषु एगन्नाणि= एकज्ञानिन् एगगुणकक्खड ९९८-१०, १०००-४ एगपएसवित्थिण्णा [दिसा] ६२९-२३ एगगुणकालग-°लय २१४-१३, २२०-२०, एगपएसादीया [दिसा]
६२९-२३ ६७६-२०,९९६-७,९९८-५, एगपएसिय
९७४-२२ । ९९९-२७ एगपएसोगाढ ९९५-२२, ९९७-१३, एगगुणकालगवतिरित्त ६७६-२१
९९९-१२ एगग्गहणगहिय ११५-८ एगपएसोगाढवतिरित्त
६७६-४ एगजंबुय
७५२-५, ७५५-९ एगपजवसिय ८०९-११, ११०४-१२, एगजीव ९८-१०,५०६-२०, ५०७-१,
११४२-१६, ११४३-५, ५१३-१८,५१४-४, ५१५-३
११७२-८ एगजीवफुड
८२०-९ एगपत्तय ५०६-२०,५१३-१८,५१४-४, एगट्ठ = एकार्थ, एकस्थ ३-९, ६७५-३
५१५-३ एगट्ठिय = एकार्थिक
३३७-१० एगपदेसिय
२५७-२१ एगट्ठिय =एकास्थिक ३५३-५, ८९७-२
एगपदेसिया [सेढी]
. २४७-१९ एगणाय%एकज्ञात
४१६-१९ एगतओ
१०२-११
एगपदेसूण ११४-१९, ११५-४, ६७२-१५ एगतिय २१-५, २३६-१९, ३३७-२१,
एगपदेसोगाढ
२१४-६, २१५-६, ४१०-८,५५७-४, ६०६-२,
२२०-१५, ६७६-३ ७३२-३,८०८-१४,१०७१-१२ । एगपयर
११२९-१९, ११३२-३
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