Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सो
बिइयं परिसिटुं पिट्ठ-पंतीए । सद्दो
पिट्ठ-पंतीए ६१५ तः ६२२ पृष्ठेषु, ६२५ तः रयणसंकडुक्कड
. ४६८-१ ६२९ पृष्ठेषु, ६३८-१८, ६४६ - रयणा=रचना
८२०-२२ १४, ६७९-३, ६८७-१८, रयणामय = रत्नमय ५४९ - ४, ७६३ - १३, ७६८-२५, ७६९-५, ७८५ तः
७६४-३, ७६६-१२, ७८९ पृष्ठेषु, ८२८-११, ८७०
८४५-१० २३, ८७१-५, ८७३-४, रयणावली=रत्नावली-आभरण९०५-१४, ९११-१९, ९१५- विशेष ७, ९१६-१, ९१८-२, रयणि = रत्नि - हस्तप्रमाणमान २६१-४, ९२२-१८, ९२६-१४, ९३७२, ९३९-१, ९४७-२०,
रयणिपुहत्त
९२०-७, ९२९-१८, ९४९-२०, ९५०-१८,
९६८-१२ ९५१-४, ९५६-२०, ९७७- रयणिप्पमाणमेत्त
२९५-६ ३, ९७८-५, ९८७-२, रयणिय =रस्निक-हस्तप्रमाण ४१५-१३ ११०७-१९, १११२-१२,
रयणी= रत्नि-हस्तप्रमाणमान ९४०-३, ११२५ तः ११२९ पृष्ठेषु,
९४६-१४, ९५९-११ ११३१-८, ११३६-८, ,, = रजनी-रात्रि ९१-१७, ९२-५, ११३७-२०,. ११४०-१७,
१३५-५, १४४-१९,७३३-९ ११७८-१२ ,, = ,, - चमरेन्द्राग्रमहिषी ४९७-२० रयणप्पभापुढविअहेलोयखेत्तलोय ५२७-१ ,, = ,, - सोमलोकपालाग्रमहिषी रयणप्पभापुढविकाइय ७८७-१३
५०४-२ रयणप्पभापुढविखुड्डाकडजुम्मनेरइय १११२-१२ रयणुच्चय
५४३-९ रयणप्पभापुढविनेरइय ३२२-७, ९०५-१६, रयत रजत
४६९-६ ९०७ तः ९१० पृष्ठेषु, ९१४-४ रयतामय = रजतमय
४६९-१३ रयणप्पभापुढविनेरइयत्त ३९०-१ रयत्ताण =रजस्त्राणरयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणग-°णय
आच्छादनविशेष
५३७-१ ४२२-४, ४४२-१२ रथमल
८७९-४ रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदियवेउ.
रयय-रजत
१००-३, ५३८-५ व्वियसरीरप्पयोगबंध ३८८-४ रययमय =रजतमय
५४५-१६ रथणप्पभापढविनेरइयापंचिंदियवे
रथयमहासेल
२५३८-५ उन्वियसरीरप्पयोगबंध] ३८९-५ रययामय = रजतमय
४५१-१० रयणप्पभापुढविनेरतिय ६०३-९ रयरेणुविणासण
६९९-१९ रयणब्भूय ४६०-१६ रयस्सला [दिसा]
२९३-१२ रयणरासि
७६५-१४ रयहरण १९७-७, ३६२-६, ४६५-१७, रयणवडेंसय १७९-१५
४६६-३, ४६९-२ रयणवास-रत्नवृष्टि
७३३-१०
* रयावरचय रयण[वासा]
१७५-६ - रयावित्ता रयणवुट्टि] १७५-८ । -रयावेइ
५४१-१५
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