Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 497
________________ १५२० बिइयं परिसिटुं सद्दो पिट्ठ-पंतीए । सद्दो पिट्ठ-पंतीए संखेजपएसिय[खंध] ५७८-१९, ३८०- संखेजसमयद्वितीय ९९९-२२ ४, ५७८ तः ५८१ पृष्ठेषु, संखेजसमयाहिय ८६६-१९, ९९६-२२, ९९७- संखेजहा ३५३-१६, ३६४-१, ३७८ तः ६, १००२-९, १००४-१८, ३८१ पृष्ठेषु १००६-२६, १००७-४, संगतिय ७९-१६, १३३-९, १४१-१७ १०१०-१३, १०११-६ ३०७-१४ , (पोग्गल] १००१-१५ संगय ४६९-५ संखेजपएसोगाढ ९९०-५, ९९७-१९, संगलिया ६९९-१०, ७००-३, ९९९-१२ ७०३-५, ७२२-७ संखेजपदेसिय[खंध] २१२-१६, ९९८-२३, संगहित ४७-१८,४८-१, १०८०-७ ९९९-१ संगहिय १०८५-१०, १०८७-१४, संखेजय ६३३-१२, ८८३-२१, ८८४-१३ १०९०-४, ११०३-२ संखेजवास ३८६-२१ *संगाम संखेजवासाउय ३२९-२४, ३९१-८, - संगामित्तए ८२०-८ ११६२-५ -संगामेइ ५४-१३ संखेजवासाउयसण्णिमणुरस ९५२-२१ -संगामेति ३०९-१२ संखेजवासाउयसन्निपंचिंदिय - संगामेंति ५९-१५, ३०५-९, ३०६-१९ [तिरिक्खजोणिय] ९२८-९ संगाम ५४-१३, ५९-१५, १७२-१५, संखेजवासाउयसन्निपंचेंदियतिरिक्ख ३०३-१९, ३०५ तः ३११ जोणिय ९११-१०, ९५१-१ पृष्ठेषु, ७२१-१३, ८२०-८ संखेजवासाउयसन्निपंचेंदिय संगामिय ३०४-११,५४९-१० [तिरिक्खजोणिय] ९२४-२५, संगामेमाण ३०५-११, ३०९-१०, ___९६२-६, ९६३-१३, ९६५-१० ३१०-२४ संखेजवासाउयसन्नि संगार = सङ्केत ७२४-१७ [पंचेदियतिरिक्खजोणिय] ९२२-२३ * संगिण्ह संखेजवासाउय[समिपंचेंदियतिरि. -संगिण्हह १९७-१९ क्खजोणिय] ९२७-७, ९३६-१६, -संगिण्हंति १९७-२४ संगिण्हमाण २१०-७ संखेजवासा[उयसमिपंचेंदियतिरि संगिया=सनिता १०४-१७, १०६-१६, क्खजोणिय ९५०-२३ १०७-१४, १०८-२ संखेजवासाउयसनिमणुस्स ९१७-२०, संगल्लि = समुदाय ४७२-५ ९२५-१२, ९२६-८, ९२९- * संगोव ९, ९६१-२५, ९६३-२७, -संगोवामि ७०९-१० ९६५-२६ संगोवंग ७७-७, ३३७-१३ संखेजवासाउय[सन्निमणुस्स] ९३८-१८ संघ ७११-१६, ७२३-७, १०६४-२३ संखेजवित्थड २४८-४, ६१६ तः * संघट्ट ६२० तथा ६२२ तः ६२५ पृष्ठेषु । -संघटेति २०७-१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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