Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१५१८
बिइयं परिसिटुं
सदो
"सोढ
पिट्ठ-पंतीए । सद्दो
पिट्ठ-पंतीए ५०५-१, ५०७-२०, ५१२
सहस्सी
१४०-१९ २३, ५३१-९, ५४६-३, सहाय ४९४-१४,४९५-२२,४९६-१४ ५५५-७,५५६-३, ५५८-५, सहायता
७८३-१० ५९७-९, ५९९-२, ६०२- सहिय = सहित ३१२-१६, ३१४-९, ११, ६०४-११, ६१५ तः
५५५-४ ६२० तथा ६२२ तः ६२७
७३६-१४ पृष्ठेषु, ६३८-१०, ६४०-१२, संकड सङ्कीर्ण
४६८-१ ६४६-१५, ६७३-४, ६७९- संकप्प ५७-१२, ५८-१३, ७९-१, ८२४, ६८५-३, ७१२-२,
१२, ११२-१०, १४६-४, ७२५-१७, ७६३-१६, ७७०
१५३-५, ७५०-१७ २०, ७७१-२, ७८५-२४, * संकम ८३५-१६, ८३६-५, ८४५- -संकमति
१९३-३ १, ८९७-१, ९०६-२, संकम
६-१० ९०७-१६, ९०८-३, ९१२- संकाइय = साङ्कायिक१६, ९१०-१५, ९१९-४,
भारोद्वहनयन्त्र ५२२-१९ ९२३-१८, ९२४-४, ९२७- संकाइयग-°कातियग= ,, -, ५२०-११, १७, ९२८-१३
५२५-१३ सहस्सक्ख
१४६-१ *संकाम सहस्सखुत्तो
-संकामिस्संति
५-९ सहस्सपत्त
४७४-८ -संकार्मिसु सहस्सपत्तग ६५५-१२ -संकामेति
२०७-१९ सहस्सपुहत्त
९८-१५, ९९-३ -संकामेंति १०४१-७ संकामण
५-१३ सहस्सरस्सि ९१-१८ संकामिजमाण
७६६-२० सहस्ससो= सहस्रशः १०३८-४ संकास
१४७-११, ११८४-२ सहस्संबवण ८००-१७ संकिग
२६-६ सहस्साणीय
संकिण्ण
१०५९-१९ सहस्सारकप्प
२४-२ संकित - °किय ३०-९, ७८-१३, ४७९सहस्सार [कप्प] ३५-१२, १२८-२०,
२, ४९५-३, ५२५-२ ६२४-११, ६८०-८, ७३२-२, संकिलिट्ठ
१८१-५, ४६१-२३ ८७२-५, १०२६-१४ । संकिलिस्समाण ४१४-१२, ६२१-९ सहस्सारकप्पोवग
संकिलिस्समाणय [सुहुमसंपरागसंजय] सहस्सारकप्पोवगदेव ९५५-१३
१०४२-२० सहस्सारग [देव ८२१-२५ संकुचिय
१०३-४ सहस्सारदेव ३९०-८, ९५५-२३ । संकुडिय
२९४-१५ सहस्सार[देव] २२३-१५, ६८६-३, । संख १३०-२२, ३५५-१३, ४६९-१०, ९५८-१७, ९६७-४ ।
५६३-१, ८१३-२३
विप्पा
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