Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सहो
वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो
१५३३ पिट्ट-पंतीए । सहो
पिट्ठ-पंतीए सीसिणित्ता ४५४-१८ सुकुमालतालुजीह
५३८-७ सीह = सिंह १६४-२०, २९६-३, ५३८- सुकुमालपाणि-पाय ४५०-१०,५१६-६, ११, ५३९-९, ५४२-१८,
५४०-१, ५४५-७ ५४३-८, ६०१-१७, ७३८- सु-कुल
३०७-११, ३१२-३ ७, ७६२-१९ सुक= शुक्र-वीर्य
५२-१९, ४६२-१४, सीह = शीघ्र १५१-५, ६५८-२०, ६५९
४७३-४, ५९७-१३, ५, ८७९-२२, ८८०-४,
११८६-१४ ८८१-२, १०६९-३ ,= शुक्ल ३६०-४, ६८६-६, ७११-२३ सीह [समण] ७२८ तः ७३१ पृष्ठेषु
शुष्क ९.-१४, ९१-२,१३३-३, सीहकण्णी २८५-१८, ९०२-३
१५७-५, २३१-११, २७५सीहगतिशीघ्रगति
१५१-५
- १५, २७६-१, ७५४-२३ , - , -दिकुमारदेवविशेष
= शुक्रग्रह
१७१-१३ १७७-३ सुक्क [ज्झाण] १०६६-१६, १०६७-१३ सीहणाद = सिंहनाद १४७-२४ मुकज्झाणोवगय
७६३-२५ सीहविकमगति=सिंहविक्रमगति
सुक्कत्ता % शुक्रत्व-वीर्यत्व
१६२-१३ दिक्कुमारदेवविशेष
१७७-३ सुक्कपक्ख= शुक्लपक्ष ५९४-१०, ११८७-८ सीह =शीघ्रम्
२५०-८ सुकपक्खिय ६१६-२, १०७२-८, १०७४सीहंदी
२८५-१८
११, १०७५-२१, १०७७-१, सीहा= शीघ्रा ६५८-२०, ६५९-५, ८७९
१०८६-१४, १०९२-१६, -२३, ८८०-४, ८८१-२,
१०९५-२४, १०९८-१६,
१०९९-२३, ११०२-१७, ,, [गइ] =सिंहसमानगति १३४-८
११११-३ #सीहासण = सिंहासन ११२-१, ४६७-६, सकपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइय ५४१-२, ६४४-१६, ६४५
१९८२-१९ ८, ७६३-२० सुक्कलेस १२-१३, २१-१५, १६१-२०, सीहासणवर ४६५-१०, ४६८-१२, ५१९
२८६-१२ -३, ५४१-१३, ६४४-१६, सकलेसा ६२-१५, ४१८-१०, ८७५-१५, ६४५-८,७६३-२०
१०३२-१०, १०५२-२, सइ%=शुचि ५२१-३
११७०-२६ सुइभूय
१३२-१ सुक्कलेस्स २४६-६, ३४८-२३, ६२१-६, सुइय = शुचिक
५४१-१
६२५-२, ६२६-१, ७९४-९, सु-कय
३०५-४
७९८-१३, १०७२-२, सुकाल
१७५-९
१०७५-१८, १०७६-२१, सुकुमाल ४६०-७,५१९-५,५३७-८,
१०९२-११, १०९५-१८, ५६०-१३, ५६७-११, ६४२
१०९८-१४, १०९९-१८, -२, ६९१-१५, ६९२-१४,
११६२-१२, ११६३-१६, ७१३-१३, ७२५-१४
११६९-७, ११८०-८
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