Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 515
________________ १५३८ सो सुस्सूसग सुस्सूसणया सुस्सूसणाविणय सुस्सूस माण सुस्सूस माणी सुह = सुख " "" ७६-८, २७०-५, २७२–२०, ३०१-१९, ४६४–६, ५४४२६, ५४५-१, ६९०–५, ६९८-१५, ७१५-२३, ७१६९, ७१७-१२ पृ० ११ टि० ११ ८६–१५, ८७–१, १४० १, ७०८, ७०९-२ १३९–२५, ७०८-४ ११२-११ ७- १३, २३४-१७, २३५-३, ३१६-१२ सुहत्थि = शुभार्थिन्, सुहस्तिन् ९१-१६, ७१८ - १४, ७२९-२६ = शुभ = सुख, शुभ सुह कामय सुह-गम सुहत्ता "2 = एतन्नामा अन्ययूथिकमुनिः सुहम्मा [सभा ] सुहविमोयणतराअ सुहवेयणतराअ सुहसीयलच्छाय सुहं सुहेणं बिइयं परिसि सो सुहा [वेदणा] सुहाए = सुखाय " पिटू - पंतीए ३५९-६ ७८३-९ १०६४-१५ ३-१, १०३-५, १९८-१४ ४५३-२ ३१२-१५ ११०-१२, ११२-८, १४०१९, १४६-३, १४७-११, १४८–१०, १५३-५, ४९८-४, ४९९-५, ५०३-१२, ५०४१०, ७७०-१८, ७८५-२१ ६६१-९ Jain Education International १०१–९, ४५०२०, ४७६-१६, ५४५-३, ५४७-१०, ८२९-८ ४८९-५ ४५१-२ सुहासणवर १३१-२१, ५१९-६, ५३९-६ सुहित = सुखिन् ५५-१० सुद्दिय = सुहुम " ५१६-३ "" ४९-६, ११७-२१, २३४-७, पिट्ठ- पंतीए २४१-२०, ३२२-१, ३४०१०, ५३८ - ९, ८०५-११, ८०६-१७, ९६९-१४, ९७०१, १०६० - ३, ११२६-६, सुहुम आउकाइय सुहु आउ[काइयए गिंदियतिरिक्खजो] सुम आउकाइयसरीर सुहुमकाय = सूक्ष्मकाय - हस्तादिक वस्तु, वस्त्र सुम किरिय सुहुतेका ११२५-१५ ११२७-९, ११३५ - १५ ८३६-२१, ८३७-१३, ११३२-८ ११२६-८, १, ७४९-२२, ७५० - २ १०६७ - १४ ८३६-२०, ८३७-१२, ११२७-१, ११३० - १९ ११३२-९ ८३७-८. ११२८ - १८, हम उक्काइय हुमते सरीर ८३६-१९, सुमनिओ - निगोद - निगोय ८३७–७, १०१६-१२ सुहुमपरिणय २१४-१७, २१५ – १३, ८१४१९, ८६६ - २१ सुमपुढविकाइ ३२४-३, ३२८-३, ८३७८३९-११, १११४ -७, १११९-२, ११२२-२, ११३२-६ मढविकाइ एगिंदियजीवनव्यत्ति हुमढविकाइए गिंदियपयोगपरिणत - णय परिणत सुदिकलेवर सुहुमवणस्सतिकाइय For Private & Personal Use Only ९३२-११ ८३९-९ पुढ विकाय सुहुमपुढविकाइयएगिंदिय पयोग ८४५-२४ ३२१-२३, ५२५-१ १११४-६, १११५-२३ ३१९-२१ ७१२-१४ ८३९-७, ११३२ - १०, ११३३-२, ११३४-११ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556