Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 540
________________ १५६३ 'वियाहपण्णत्तिसुत्तं भाग १' गंथवायणाए जे० आयरिस पाठभेयाइ पिट्ठस्स पंतीए मुहियपाढो जे० सन्नयभायरिसपाढो २८७ १८ वि जाव वि। एवं जाव + २८९ १३ °गिहे जाव गिहे नगरे जाव * २९१ १, ६ तए पु त्तए पु १२९२ १५ पाणाणं जाव स पाणाणं भूयाणं जीवाणं स १२९३ १२ वाइंति वाहिति +, १५ विजुमेहा अस विज्जुमेहा विसमेहा अस कब्बड खब्बड २ भट्टिमा भट्ठमा गड्डा ३ °ताई गंगा 'ताइं च गंगा ७ वेलयभूया तत्तकवेल्लयभूया दुनिष्कमा दुन्निकमा १० दुगंधा दुग्गंधा १६ डधडमुहा °डवाडामुहा २३ ३. गू ३. भट्ठिमा लों विना । गू १ दुद्द-कि १ °फरूस °फरुस ३ °विब्भल °विंभल १० कमाहार' किमाहार १२ इण्णे च्चेवणं इण्णे, णो चेव ण १३ रूवी mm दद्द-कि रूविं अरूविं , १३, १४ अरूवी १३०४ १४ २ चा ३०५ ४ कूणिए ५ उद्धव्वामणी हिं हय? १३ चमरे अ° ५ इ, उवा ६ रहं दुरूहइ, दुरूहित्ता १९ पुत्वं २१ °सति, परा ७ , २त्ता ११ दुरुहति १२ दुरुहित्ता सेलोदाई सेवालोदाई उदए णामुदए नम्मुदए अन्न " १५ सेलवालए २त्ता कोणिए उगुव्वमाणीहिं उद्धुव्वमाणीहिं हय° चमरे य अ° इ, तेणेव उवा रहं हति, चाउग्घंटे रहं द्रूहेत्ता पुल्वि °सति, धणुं परा इ, रहं परावत्तेत्ता द्र्हति गुहेता सेलोदाई उदए णामुदए अन्न संखवालए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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