Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 542
________________ णइने 'वियाहपण्णसिमुत्तं भाग १' गंथबायणाए. जे० आयरिसपाठभेयाइ १५६५ पिट्ठस्स पंतीए मुहियपाढो जे० सन्नयभायरिसपाढो * ३३७ १ °इए ३३८ १५ अण्णाणी-मति° अण्णाणी; नियमं दुअन्नाणी-मति° ३४० ४ नियमा नियम ३४३ १६ दुण्णाणी दुनाणी + ३४४ १५ णं. णं भंते! २१ ९९. विभंग ९९.[१] विभंग * ,, २२-२३ नियमा। [सु. १०० नियमा। [२] तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए। दो अनाणाई नियम। [सु. १०० ३४५ ९ अलद्धी त° अलद्धी य त ,, १९ लद्धियाणं लद्धीए दुण्णाणी दुनाणी दुन्नाणी लद्धियाणं लद्धीयाणं अण्णाणी अण्णाणी, ,, ८, २३ नियमा। ए° नियम ए° ,, १८, २१ तिण्णि य अ° तिणि अ° ३४७ २ दुन्नाणी,...एगन्नाणी। जे दुम्नाणी दुनाणी,...एगनाणी। जे दुनाणी ४ नियमा नियम ६ यस्स (सु. ११४)। यलद्धिअलद्धियाणं (सु. ११४)। ३४८ ३, ११ नियमा नियम ,, ६, १३ अणागा अणगा ,, ९ तिन्नाणी तिनाणी ३४९ ३ लोहक लोहसक यगा। एवं नपुंसकवे०। यगा वि। एवं नपुंसगवेदगा वि। १७ खेत्ततो खेत्ततो णं २० पण्णवेति प० पण्णवेति जाव प ३५१ ४ केवचिरं केवचिरं ११ मुसुंढी मुसंठी १८ कलिंचेण किलिंचेण २२ सत्थं संक सत्थं की ६ भंडे भंडं ७ सति नो सति, नो +, १४ °सइ सइ, १३५७ १ तिविहं वा ति? तिविहं ति° ३५८ ७, ८ संवरमा संवरेमा १३५९५ अयंबुल अयंपुल ३५० , ++++++++ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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