Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 548
________________ पिट्ठस्स पंतीए " "" ४७८ ४७९ " "" ४७५ ४७६ १३, १७ ,, १३, १८ ११ "" ४८० " " ≠ ४८१ " در 23 'वियाहपण्णत्तिसुतं भाग १' गंथवायणाए जे० आयरिसपाठभेयाइ १५७१ मुयिपाढो जे० सन्नयआयरिसपाढो ७९. अ ७९. तए णं समणे भगवं महावीरे तं जमालि खत्तियकुमारं " "3 १४-१५ Jain Education International १७ हट्ठतुट्ठे १९ से सद्धिं उग्गहूं उग्गहति, उग्गहं उग्गिहित्ता सावत्थीओ नयरीओ को जं णं कयावि णासि ण, क भवति ण, न १९ २४ २४ २४-२५ " २५ ४८३ १२, १७ E एवं वयासी - अहा . १८ नाहिं मि मादि २ १३, १९ हिडिं १७ १ ३ या देव उभयं 'सुदेव ए जाव देव एणं जाव कहिं उव उववज्जिहिति ? नियमा हट्टतुट्ठ • सा सद्धिं, ओहं ओगिण्हति ओहं ओगिण्हत्ता सावत्थी नयरीए को° जं न कयादि णासी, ण क भवति, न हिम मा ! दि हवि (?) 'या चेव देव तदुभयं देवे देव अवणकार जा देवे एणं भवक्खणं जाव कहिं गए? कहिं उब उववज्जिही ? नियमं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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