Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 508
________________ वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो सहो पिट्ठ-पंतीए । सहो पिट्ठ-पंतीए सिद्धत्थग =सिद्धार्थक-सर्षप ५४१-१५, सिरिली २८५-१६ ५४२-७ सिरिवच्छ ४७०-१६ सिद्धत्थगाम सिरी श्री सिद्धत्थग्गाम ७०२-१९ सिरी=श्री- शोभा १५-३, ८१-१६, सिद्धत्थवण १५-१ ९१-४, १४६-५, २८५-३, सिद्धपद ७९८-११ ६९९-४, ७२८-२ सिद्धभाव ७९२-१२ सिरीस ८९८-१४ सिद्धवज = सिद्धवर्ज ६०-१८ सिरीसिव= तिर्यञ्चविशेष ७३८-१२ सिद्धि ४६-८, ७८-२, ८३-१०, ८४-१, सिलप्पवाल १३०-२२ ११८-४, ४७३-३ सिला सिद्धिगति २-४, १०२६-२१, १०३६-९, सिलापब्भट्ठय [पाणय] ७२१-२१ १०५४-१५ सिलावट्य १४५-७, १४७-७ सिद्धिगमणविग्घ ४६२-१८ सिलिट्ठीकत २३१-२ सिद्धिगंडिया ५२६-८ सिलेस = श्लेष- वज्रलेप ३८१-११,३८२-६ सिद्धिपजवसाण १०८-१३ सिलोग = श्लोक= यशस् ७६४-१५ सिद्धिपजवसाणफल ७८३-१७ सिव= शिव-कल्याण २-३, ८१-१५, ९०सिद्धिमग्ग ४७३-६ १३, ५३८-४, ५३९-३ सिप्प . ६५८-२१, ६७८-२, ७५४-१५, ,, = ,, - व्यन्तरविशेषः, रुद्रभेदो वा ८३९-१९, ८४०-१० १३२-१६ सिप्पिय - तृणविशेष ८९५-१३ ,, = शिवनामा राजा, ऋषिनिर्ग्रन्थश्च सिबिया ५४९-८ ५०६-५, ५१६-४, ५१८ तः सिय=सित पृ० ४८ टि. ५ ५२६ पृष्ठेषु, ५४६-१९, ५५७सिय स्यात् ८-१५, २०६-६, ३३५-६, २२, ५५८-१४, ५५९-६, ..... .४०१-२,६०८-३,७७६-४, . : ७०४-११ . . ८०९-१५, ९७०-२३, सिवभद्द+°य= शिवभद्रनामा राजपुत्रः ५१६- १००१-१५, ११४४-२४ ८,५१८-११, ५१९-३,५५२ सिया= स्यात् ४३-७, ११४-१५, २०४ -१९, ६४२-६, ६४४-२२ ...... ४, ३६१-१७, ४०२-४, सिवा-शिवा - शकाग्रमहिषी ५०३-७ - ५०७-१७,६०१-१६,७१५- सिस्स-शिष्य ४१९-१९ .... ८, ८३९-१८, ९०१-१८, सिस्सिणी पृ. २०४ टि. ४ .. १००४-२२, ११४३-२१ सिस्सिरिली २८५-१६ सिर = शिरस्-मस्तक ४५-१७, १४९-१२ सिहरतल ७०८-१८ ,, , -अग्र १९६-१५ सिहरि २१७-२ सिरसावत्त १२६-१२, १३६- १२, १३७- सिहि = शिखिन् – अग्नि ५४३-९, ७६२-१९ ९, १४६-१२ " = ,, -मयूर २९६-६ सिरिघर ४६६-२, ५४९-७ सिंग १९१-६, ५९७-१४ सिरियक सिंगज्झाम १९१-६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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