Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 496
________________ वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सदाणमणुक्कमो १५१९ सहो पिट्ठ-पंतीए । सद्दो पिट्ठ-पंतीए संख [समणोवासय] ५६० तः ५६२ तथा ८, ९३१-९, ९३४-१५, __५६४ तः ५६६ पृष्ठेषु, ६४२ ९३९-८, ९४४-१७, ९४८१८, ८२०-४, ८३२-१८ १८, ९४९-२२, ९५१-१४, संखतलविमल ९५३-१९, ९५६-१८,९५७संखवण ५५४-२२, ५५७-१२ १३, ९५८-९, ९७२-१३, संखवाल= देवविशेष १७६-१५ ९७५ तः ९७८ तथा ९८३ तः संखवालय% , १७४-१० ९८५ पृष्ठेषु, ९९६-२, १०१२ " =एतन्नामा आजीवको तः १०१६ पृष्ठेषु, १०३९-९, पासकः ३५९-४ १०४०-७, ११०४-२०, संखसद्द १९३-२० ११०५-१६, ११०६-१५, संखाण = सयान-गणितशास्त्र ७७-८ १११२-७, ११४३-८, ,, = , -बुद्धि ७१३-१६ ११४५-८, ११४६-१, संखादत्तिय १०६२-१५ ११५५-४, ११७२-१४, संखिज्ज ११७-७,४४०-८, ५८१-२० ११७५-२, ११७६-४ संखिज्जत्त १११-४, २२८-५, संखेजइभाग ११७-६, ११८-५, ५२७-१७ ८५५-२२ संखिजसमयाधिय ३७-२ संखेजइभागहीण १०२८-२० संखित्तविउलतेयलेस्स १०५-१५, ७०२ संखेजग ५८०-१७, ६२२-१८ १०, ७०४-४, ७३५-१९ संखेनगुण १५१-१६, १५२-१२, २४२संखित्तविपुलतेयलेस २-९ ८, २८४-४, ३९१-२३, संखियसद्द १९३-२० ३९५-८, ३९७-५, ६०७-४, संखिया = शसिका - हूस्वशङ्ख १९३-२० ८८४-२०, ८८६-८, ९७६संखेज ११४-१६, १२०-४, १२१-१८, ७, ९९९-२, १०००-८, १२५-१, १४७-१५, १५२ १००७-७, १०१०-२३, २, २२३-१६, २४८-५, १०११-१२, १०४२-४, २५७-२०, २५९-१४, ३३३ १०५९-१० ९, ३८०-९, ३८१-५, संखेजगुणकक्खड ९९८-१४, १०००-४ ३८२-७, ३९०-२०, ४३८ संखजगुणकालग ९९९-२७ ४, ४३९-१, ४४०-३, संखेजगुणमन्भहिय ९७१-३, १०२८-२३ ४४४-१०,५०७-११,५१२ संखेजगुणहीण ९७१-२, १०२८-२१ ५, ५८०-१९, ५८१-१८, संखेजजीविय ३५२-२५, ३५३-१ ५८३-२, ५८४-१२, ६०५- संखेजतिभाग २२३-१८, २५७-१९, १, ६१६ तः ६१९ तथा ६२२ १०४०-६, १०५७-२३, तः ६२५ पृष्टेषु, ६३३-११, १०५८-१ ६३६-१७, ८५५-२३, ८७८- संखेजतिभागमभहिय ९७१-३, ५, ८९०-१५, ९०१-१६, १०२८-२२ ९०५-२१,९१८-१०,९२३- संखेजतिभागहीण ९७१-१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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