Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१४८४
बिइयं परिसिटुं सद्दो पिट्ठ-पंतीए सहो
पिट्ठ-पंतीए विप्पडिवन्न ७११-२,७१६-१२,७१७-१८, विभंगनाणविसप ८७५-१९, ८७६-१
विभंगनाणसागारोवजुत्त
३४८-३ विप्पमुक्क १०१-७, १५३-३, २७६-४, विभंगनाणि ३३८-६, ३४८-१२, ३५१-१, २७९-२, ४७८-११, ७८०
६१६-७, ६१७-१८, ७९६-१, ११, १०६२-२०
७९९-७,१०७२-२१,१०७४विप्पयोग ४६४-९, ६४५-१३
१३, १०९३-४, १०९६-१४, विप्पयोगसतिसमन्नागत १०६६-१८
१०९८-२१, ११००-५ * विप्परिणम
विभंग[नाणि
२४०-२४ -विप्परिणमिस्सति ३२-१५ विभंगु=तृणविशेष
८९५-१२ विप्परिणामाणुप्पेहा
१०६७-२१ विभाग ५३६-७, ९६९-१०, ११८६-८ विप्परिणामित २३१-९ विभूसण
११२-१० विप्परियास
प्रविभूसिय ८१-१५, ३०४-१६, ४५८-२, विप्पवासिय
५९५-१३
___५१९-८, ७२५-१६, ८११-१२ विप्पेक्खिय
विभेल[सन्निबेस] पृ० ४९५ टि० ४ विफलीकरण १०६३-९ विमण
१७०-१, ४६०-४ विवाहा=विबाधा--विशिष्टबाधा १९,७६-१ विमल ३०५-१, ४६९-९, ५३८-८,
५३२-२
५४८-१६, ७०७-१९, ७३४विबुह ११८७-१४
५, ११८३-१५ विब्भल = विह्वल
२९५-३ विमल [जिण ५५१ १८,५५२-१०, विब्भंगणाण] ४१४-९, ५२५-१४,५५७
७३५-१७, ८७७-१०
विमलवाहण ___ ७३४ तः ७३७ पृष्ठेषु विभंगनाण
४१४-१०,५२२-११ विमला [दिसा] ४८५-२१,४८७-८,६३०विब्भेल+°ग सन्निवेस ४९५-२०,४९५-२२
५, ७६९-२ विभत्त
२९५-२ , = बिमला-कालपालविभत्तिभाव ५९१-१९, ८५८-७
लोकपालाप्रमहिषी ५००-१३ विभयमाण
१४८-६ ,, = ,, -गीतरतीन्द्राग्रमहिषी ५०२-१३ विभंगणाण २४५-४, ३५०-२२ विमा-बेणुविशेष
८९४-१९ विभंगणाणपरिणय
३५१-१ विमाण २३-१६, ३५-१४, १२६-६, विभंगनाण ३३७-५,५९०-२१, ८५७-२२,
१२८-२, १२९-१३, १३५८७५-१७, १०७९-३
१२, १३८-९, १४०-१०, विभंग[नाण] -
५२५-४
१४६-२, १४८-९, १६९-१०, विभंगनाणनिव्वत्ति
८४९-१४
१७२-३, १७३-१९, १७४विभंगनाणपनव ११५-१९, ३५२-२,
१८,१७९-३, १९८-४, २५४९९४-१०
५, २५५-२, २८९-१७, ३११विभंगनाणलद्धि १६७-३, ३४२-२१
१८,५०३-१,५०४-३,५५७विभंगनाणलद्धिय-लद्धीय १६६-५,
३,५५९-१,५९२-१४,५९४३४४-२१
१६, ६२४-२, ६२५-१,६७४
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