Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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वेयण
वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो १४९३ पिट्ठ-पंतीए
पिट्ट-पंतीए ३, ८८४-९, ८८६-१, ८८८
वेमायविसेसाहिय ११३५-१०, ११३७-५ २१, ८८९-८, ९७१-५,
वेमाया-विमात्रा ८-१०, ९-५, १०-११, ९७२-२०, ९७३-१४, ९८३
२३२-२२, २३३-१ २३, ९८९-२, ९९१-८, * वेयवेद ९९२-१२, ९९३-१, ९९५- - वेइस्सइ
३२-१४ १६, १०२६-१२, १०४८-२,
-वेरंति
२९-९, ११३५-१ १०६९-१९, १०७०-६, - वेयति
७८१-३ १०७५-२, १०७६-११, - वेयंति
२७२-२ १०७८-९, १०७९-८,
* वेय =वि+एज् १०८०-८, - वेयति
१५६-३ १०८४-७, १०८६-१९, वेय = वेद-कर्मवेदन
१०१७-७ १०८७-१, १०९०-१,
= ,, - स्त्र्यादिवेद
१०७१-५, १०९४-१०, १०९९-५,
११६४-१० ११०१-३, ११०२-१, वेयग
११६२-८ ११७४-२०, ११७५-८, वेयड्ढ + गिरि २९४-३, २९५-७ ११७६-९, ११७९-५
२३०-३, ११६९-६ वेमाणियत्त ५८४-१५, ५८५-४, वेयणा १९-७,२०-१५, २१-११, १७२
८५७-२१
१७, २७२-१, २८६-१७, वेमाणियदेव ३३५-१३, ३३६-१, ६०३
२८७-१, ३.२-७, ४७७-३, १४, ६०५-२१, ९३९-१२,
७४७-२२, ७८५-१०, ८४३९४१-२३, ९५४-८, ९५५
२०, ८४४-१, ९२३-१४, ११, ९५७-२६
९३०-१२, ९४०-११, वेमाणियदेवपवेसणग - °णय ४४५-६,
११६३-१५ ४४६-३ वेयणासमुग्घाय ७८६-१६, ८३५-१८, वेमाणियदेवाउय १०९४-१८,१०९६-१२
९०६-२३, ९५९-१३, वेमाणियदेवित्थी
८१०-११
१०३९-१७, ११३५-८, वेमाणिय-प्पमाण ११२-८
११३७-२ वेमाणियादेिवी]
४९२-१० वेयणिज [कम्म] १४-२, ३७५-११,४०२वेमाणियावास ५८९-१५,५९९-११,
१५, ४०३-१, ४०४-१, ६५८-१७
६६७-१६, १०३५-४, वेमाणियुद्देस
११०-८
१०७५-१३, १०७६-१०, वेमाता= विमात्रा २७२-२, २९१-८
११४४-७, ११६२-७ वेमाय=विमात्र-विविधमात्र १५७-२१ वेयावच्च ५७१-१५, १०६४-३, १०६६-९ वेमायद्वितीय ११३५-१० वेयावडिय
१९७-२० वेमायत्ता
९-२०, १०-७ वेर ५८-२३, ५९-१, २९४-१२, ४८३वेमायनिद्धया
११,६४६-१३ वेमायलुक्खया
वेरमण ६१-११, १००-११, २८०-१३,
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