Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 483
________________ सहो १५०६ बिइयं परिसिटुं पि?-पंतीए | सद्दो पिट्ठ-पंतीए समयलुक्खया २९३-१३ समाउय १८-१२, २०-३, २१-२२, समयं = समये २७३-१० ७७१-१७, ७८९-१४, समयाणुभाव २९३-१० १०८९-९, १०९०-१५, समयाऽधिय ३६-१७ ११३५-१५, ११३७-८ समयाऽहिय ३६-१, ३८६-१, ३८७-२, समाकाल १०२५-२२ ५५५-८, ५५६-३, ५५८-५ समागम २५९-१३, २६०-१७, समयूण =समयोन ३८३-१०, ३८९-२ समर-बहिय=समरवधित ३०६-७ समाण=समान-तुल्य ८६-१७, १४९-७, सम-लिहिय ४५१-९ ४६१-५, ४६९-१४, सम-लेस १७-१३ ८३९-२२ सम-वण्ण १७-१० 5 , = सत् ५३-२, १०२-१, समवसरणसय ११०३-१५ २०२-४, ३०४-८, ४५०समवाय [सुत्त] पृ. २०४ टि. ४ १७, ५१८-२, ६४३-१२, सम-वेदण १८-१, १९-६, २१-२२ ७०२-१, ८०१-१, १०२६-९ सम-वेयण १९-६ समाणी=सती ५३८-१५, सम-सरीर १६-१२, १८-१७, ७८९-१२ ५३९-५, ५४०-१३, ५४४समंसह ४७-७, १५९-१७, ३९६-१, २१, ५६८-४ ४०३-७, ४०४-१४, ४२५- * समादह २, ४२७-१७, ४३९-६, -समादहे ५२१-९ ५१२-१४,६०८-१३,६०९- * समायर २, ८६०-२, ८६८-२७, -समायरित्ता १३०-११ ८६९-१, ९४४-२०, ९४५- -समायरिंसु १०८६-४, १०८७-८ ५, ९४७-४, १०२९-२१, समायं = समकम् १०८९-४, १०९०-१२ १०५०-२, ११७५-७, * समारभ ११७६-७ -समारभति १५६-१०, १५७-१, समंता ४२-१८,४३-१, १११-६, ३१७-११ १३७-२, १५७-१६, २९३- समारभमाण १५६-११ १२, ३०७-५, ५३०-११, * समारंभ ५३२-९, ६४०-१६, ६९२- -समारंभति २१६-७ ८, ६९७-१०, ६९८-५, समारंभ १५६-११, १५७-२, २७४-१३ ७००-१२, ७०६-७, ७०८- समारंभसच्चमणप्पयोगपरि[णय] ३२७-८ २०, ७०९-१, ७६३-१५ समावण्ण ७८-१४ समा=समा - काल, समय २६३-३, समावन्न २६-६, ३०-९, ४७९-२, २९३-९, २९४-५ ५२५-२ समाइण्ण = समाकीर्ण २०९-१ समावन्नग ६०-४, ६५९-१५, ६६०-५, " =समाचीर्ण १९३-४ ६६९-३, ६७०-४, ९९४-२२ समाउत्त ४९-१० समावन्नय २६४-४, २६५-६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556