Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text ________________
सहो
वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो १४९९ पिट्ठ-पंतीए । सहो
पिट्ठ-पंतीए ५७४-१४, ५७५-२, ५७६- सत्तपएसिय[संठाण]
९७९-७ २७, ५७८-१३, ५८३-३, | सत्तपएसोगाढ ५८५-२०,५९७-२२, ६०४- सत्तपदेसिय[खंध] ५७४ तः ५७७ पृष्ठेषु, १०, ६०५-१७, ६१५-९,
८६४-६, ८६५-५, १००१६२६-१४, ६२७-१९, ६३१
११, १००२-५, १००३-१४ तः ६३४ पृष्ठेषु, ६७१-२, सत्तपरिवज्जिय
२९५-४ ६७८-५, ६८१-१८, ६९४- सत्तफास
८६८-१६, ८६९-१३ १३, ६९९-७, ७००-२, सत्तमसप्तम ४६-१५, ४७-६,६१७०१-१, ७०३-४, ७१२-२,
१६, ६२-१, ९०-२, ७१३-१६, ७१५-१, ७१७
२१३-६, २७३-५, ५८८२०, ७३०-१४, ७३६-२४,
२१, ५८९-३, ७११-२६, ७८७-१४, ७८९-६, ८३६
७१३-११, ७१४-२०,८१८५, ८६२-१८, ८६७-११,
१४, ८९६-४, ९१०-१७, ८७७-१८, ८९३-४, ९११
९१४-१४, ९१७-९, ९१९१९, ९१६-४, ९१८-२,
१९, ९३२-२, ९४८-२, ९३२-१६, ९३५-७, ९४०
९५०-१४, ९५४-२, ११२३३, ९४६-१३, ९४७-३,
७, ११४१-६, ११५३-१२, ९६३-११, ९६५-२१,९६७
११६७-१३, ११८६-५ १६, ९७१-२४, ९८६-११, सत्तमपुढवि
९१७-३ १०१२-२, १०३३-१५, सत्तम[पुढवी]
२३३-९ १०३४-३, १०३५-३, सत्तमसत-°सय ३५३-१०, ३६७-६, १०३८-३, १०५३-११,
३६८-३,३९३-१२, ४८८१०५६-१, १०९१-१,
१०, ५२७-१७, ६३९-१, ११०५-१६, ११०६-१५,
८१७-१७, ८२२-२१, १११५-३, १११६-९,
१०६२-७ ११२५-१४, ११२८-१३, सत्तमा [पुढवी] २३०-११,५७२-११, ११३०-७, ११३१-८,
५८९-११ ११३२-२१, ११४६-६, सत्तमासपरियाय
६८६-२ ११६२-७, ११६८-२०, सत्तमासिय ११७१-६, ११७५-१, सत्तमुद्देसय
४८८-१७, ४९७-१४ ११८५-५ सत्तरत्त = सप्तरात्र २६१-९,७१८-१५, सत्तगसंजोग ४३७-२, ४३८-१, ४४०-१
७२६-५ सत्तट्ट =सप्ताष्टौ
५६३-६ सत्तरस २४७-१९, ६३२-२१, ७१२सत्ततीसइम
११५९-९
१२, ७१४-१९, ७६०-११, सत्ततीसा
६३३-६
७७०-२२,७७३-७, ११४५सत्तत्तीस
८६६-१५ सत्तनउय
६७९-१४ । सत्तरसएक्कवीसजोयणस]त] १११-२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556