Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 478
________________ वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो १५०१ सहो पिट्ठ-पंतीए । सद्दो पिट्ठ-पंतीए १३, ७२५-१८, ७२६-२०, सदुद्देसथ ७२७-८, ७२९-६, ७५४-१२ सहन्नइयमहुरसरनादिय ६५६-५ सह% शब्द-श्लाघा सद्धाधितिसंवेग पृ. ९१ टि० १५ ,,,-प्रसिद्धि ७६४-१५ सद्धिं ५४-१२, १०१-८, २०२-४, सद्दपरिणत २१४-१९, २१५-१५ ३०५-६, ४५२-५, ५०३सहव्वता-°व्वया २०३-९, ३८४-५ १२, ६७४-१, ७०२-१९, * सद्दह ८०१-१८ -सहहइ ४७९-१५, ४८०-४ । स-धूम २७७-११ -सद्दहति १२२-१३, ६९९-१३, सन्नद्ध ३०९-२ ७०३-१८ सन्नद्धबद्धवम्मियकवय ३०४-१६ - सद्दहसि * सन्नव - सद्दहति ४७७-२४,४७८-२, ५५५-- -सन्नवित्तए ४६३-१४ १२, ७०८-११, ८०४-११ सन्नवणा ४६३-१३, ४६४-२३ - सद्दहामि ६६-२०, ८६-३, ४५८-२१, सन्ना ८३५-४, ८५३-१८, ८५४-८, ७५९-१२ ९०६-१५, १०१७-८, - सद्दहाहि ६७-२ १०७१-४, १०९६-१५ सहहित ६६-१७ सन्नानिव्वत्ति ८४८-१७ सद्दाउलय १०६०-४ * सन्नाह * सद्दाव -सन्नाहित्ता ३०४-१२ 5- सद्दावेइ ३०४-५, ४५१-७,५१८-५, - सन्नाहेत्ता ३०४-७, ३०८-१३ ८०१-१०, ६४४-१७, - सन्नाहेह ३०४-६ ७२५-१२ - सन्नाति ३०४-१२, ३०८-१५ - सद्दावेळ ४६५-१८ सन्नाहपट्ट ३१०-२१, ३११-६ 3-सहावेति ३०८-११, ५४०-२१, सन्नि ५४-९,६१६-२, ६१८-१०, ६४३-१३, ७४८-१४ ९३७-२१, ९५१-४, ९५३- सद्दावेत्तए ५६२-१८ १६, ११६४-१०, ११६९-१९ - सहावेत्ता ३०४-५, ४५१-८ सन्निकास-सन्निकाश-सदृश ४६९-१० -सद्दावेमि ५६२-२१ सनिकेत ४६१-२२ -सदावह ४६६-४,४६९-२०,५४२-१ सन्निक्खित्त १७५-१५, ४९८-९ -सद्दावेहिति ७४२-५ सन्निगब्भ = संज्ञिगर्भ-मनुष्य- सदावेहिति ७३३-२३, ७३४-९ गर्भवसति ७१२-३, ७१३-२ -सहावेंति १०२-२, ३१३-१२, सन्निगास = सन्निकाश-सदृश ९२-२, ४६६-७, ५४२-५, ६६२-९, ५१६-३, ७३४-६ ७०६-४, ८१८-८ =सन्निकर्ष-संयोजन १०२८-१८, सहावइ [पव्वय] ४१७-७ १०२९-१, १०३०-१, सद्दावित - विय ४६६-९, ४७०-४, १०४९-१९ ५४२-६, ६६२-८, ६६३-६ । सन्निचय १७५-११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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