Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सद्दाणमणुक्कमो १४८७ पिट्ठ-पंतीए । सहो
पिट्ठ-पंतीए १२८-६, १४१-१२, १४२-१, विसुद्धि
४४८-२३ १४९-२०,१५१-१०, १५२-४, विसेस ५३९-१०, ५४२-२०, ९४०-१७, १६३-१३, २६०-९, ३३४-६,
९४७-१९, ९६३-२२, ३५०-१
११६४-१ विसयतिसिय ४६४-१६ विसेसाधिय
२३-१ विसय-मत्त १२०-११, १२१-१२, १२५- विसेसाहिय २२-१६, २४-१८, ८४-३, १९, १२७-३, १२८-६
१५१-२४, १५२-४, २१५विसयाणुलोम
४६३-१३
२२, २२१-१७, २७०-११, विसवाणिज
२८१-१६, २८२-१६, २८३विससम्मिस्स
३१६-१
२१, २९९-३, ३३३-१६, * विसंजो
३५२-८, ३५४-१६, ३८७-९, -विसंजोएइ ५-१०, ४१६-६
३९०-२३, ३९१-२२, ३९२विसंवादजोग
३९३-५
२०, ३९७-४, ४४२-१३, विसंवायणाजोग
३९४-८
४४३-१८, ४४५-१, ४४६विसारअ-रद ७७-८, ४६२-६
४, ५३२-२१, ५३३-२, विसाल १११-५, २२८-५, ५३८-८,
५८६-२०, ५८७-३, ६०७११८३-१६
३, ६०९-१४, ६३९-५, विसाह
७९२-२
७७२-२, ७८९-१९, ८३६विसाहा
८००-३
१८, ८३७-९, ८५५-५, विसिट्ट
४५१-९
८८०-१, ८८४-१९, ८८६विसि =द्वीपकुमारदेवविशेष १७७-१
७, ८८९-१२, ९६९-२१, विसिट्टतर
५९६-५
९७१-१५, ९७६-५, ९८६विसिढ़तराय पृ० ५९६ टि.३
१६,९८८-४,९९७ तः १००० विसिट्ठयराय
७१०-१८
पृष्ठेषु, १००६-१७, १००९* विसिस -विसिस्सति= विशिष्यते २००-१३
२५, १०१०-४, १०१५-१६, विसुज्झमाण
१०२८-५, ४१४-१३, ६२१-१४,
१०३०-१०, ६२६-१
१०४२-३, १०४९-७, विसुज्झमाणय [सुहुमसंपरायसंजय] १०४२-२१
१०५९-९, ११२९-२०, विसुज्झमाणी ४१४-८, ५५४-७
११३२-४ विसुद्ध २६१-१२, २६२-७, ४६२-६, विसेसूण
११२-७ १०४३-६ विसोत्तिया
१०३-९ विसुद्धलेस
२६९-९ * विसोह विसुद्धलेसतराग १७-१५ -विसोहेमि
३६२-१३ विसुद्धलेसा १०३२-९ विसोहि
४४८-२३ विसुद्धलेस्सा ४१४-१८ विस्साएमाण
५६१-८ विसुद्धवण्णतराग १७-११ । विस्सादेमाण
५६१-१६
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