Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 465
________________ ૪૮ सो विह = विहायस् - आकाशास्तिकायनामान्तर विहग [संठित ] = विहगसंस्थित - विभङ्गज्ञानभेद विहत्थि = वितस्ति - मानविशेष * विहर - विहरइ 5 1 - विहरति फ्र विहरह - विहरंति 5-1 - विहरामि . - विहरामो - विहराहि - विहरित्तए फ्र फ्र - विहरित्ता - विहरित्था - विहरिस्सति - विहरिस्सह - विहरिरसंति - विहरिस्सा मि - विहरिस्सामो - विहरेज्ज Jain Education International बिश्य परिसि सो पिट्ठ- पंतीए विहरमाग १०१ - ९, ४५०-२०, ६४१-१२, ६४२-२४, ६४३-८ ५६८-८, ७२६-७, ७२७-१० ४६२-५ पिट्ठ- पंतीए ८५६-१९ ३३७-१८ २६१-३ २-१२, १२५–१६, २०४-२३, ३१५-१८, ४२०१०, ५०४-६, ६०१-२१, ७०२-१३, ८२८-१९, ९१८२१, १०४२-६, ११०३-३ १५- १०, १०५-९, २१९-९, ३०८-८, ४५०-९, ५०५-१, ६१४-२३, ७०५-५, ८१७-९, ९२२-३, १०६३ २१, ११०६-२ ५६४-८. १०१-११, ३०२ - ८, ४७८-१, ५१७–२, ६२७२३, ७२०-९, १०६९-२ १३१-१, ५१६-१८, ६९३-१२, ८३०-१७ ५६३-२० ५१९-११, ६४४-२५ ८८-११, १३१ - १४, २२८--१७, ४७५ -१६, ८१८-४ ६४-१०, ५५३-१७, ७१२-२० ६९८-१६ ७३३-२०, ७३५-२०, ७३६-५ १३४-२१ २९५-१५ ७१८-१४, ७२९-२६ ५६१-९ ५९६-३, ६४३-२ विहरिय विहसिय विहाण विहाणादेस | = बिधान – भेद २६७-६,५२३-२०, विहारभूमि विहारि विहि विहायगति ३७०-१२ विहार ७६ - २०, १०२-१२, ४७५ -१६, ५६४-१९, ६९९-२, ७०२-१९, ८२८-२२ ३६३-७, ५४५-१ ४९४-१६, ४९६-१६ १३४-१२, १५३-२२, २६७–६, ५२३-२०, ९८७-१३ * विहिंस - विहिंसेज्जा विहूण विंझगिरि विंध • विंधेज्जा * ७३८-१९, ७३९-१ ९८१-५, ९८२-४, ९९० तः ९९४ तथा १००० तः १००४ पृष्ठेषु asar * वीईवय - वीईवइत्ता - वीईवयइ - वीईवयति २७४-१५ ११३–२, ६४०-१९, १०७५ तः १०७८ पृष्ठेषु, १०८३-२ १४४–७, ६८१–७, ७३३-६, ७४०-३ * वीअ = = वीज् वीइत्था = अवीजयत् - वीजितवान् १५०-६ ३०५-२ For Private & Personal Use Only ५८-२२ वीइत * वीइवय - वीइवइत्ता ११०- १४, ११२-३, ४९३-१ - वीइवएज्जा ६७०-२ - वीइवयति ३१३-१० ३१३-११ १७२-४ ५९३-१४ ८५-१० www.jainelibrary.org

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