Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सहो
वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो १४८३ पिट-पंतीए | सहो
पिट्ठ-पंतीए विणिवणया
७८३-११ वित्तिविसेस
५३९-२०,५४२-२०, विणिहाय ५५-१४
६४१-२ विणीत ४५-१५ वित्तीय=वृत्तिक
५७-१२ विणीतता
४१४-७ वित्थड १११-१४, २४८-४, ६१५तः विणीय ९४-६, १२६-३, १२७-२०,
६२५पृष्ठेषु १९७-५, ५४२-२, ५४८-१३,
वित्थरओ=विस्तरतः २६७-६,५२३-२१ ७०५-४, ७१६-५, ७१७-१,
वित्थार
२९५-११,६७४-१२ ७२८-२०, ७३१-२४, ७३२-१
वित्थिण्ण १००-३, २२८-५, २७३-२१, विणीयया ३९४-२,५२२-१०
२७४-१, ५२७-१७, ५३८-९, विण्णय -विज्ञक ५४०-३, ५५३-१९,
५४०-३,६३९-१, ७१३-९ ६९२-११ वित्थिण्णतर
६२७-१ *विण्णव
विदिसा १८८-१७,५३१-१२,६२०-४ -विण्णवित्तए ४६३-१४, ७३५-४ विदुग्ग
५७-११, ५८-६ -विण्णवेत्तए
४६४-२३ विदेहपुत्त
३०४-१, ३०६-१२ विष्णवणा
विद्धत्थ ४६३-१३, ४६४-२३
२३१-९ विण्णाण
* विद्धंस १०८-८, ४६१-१३, ५३९-१६ -विद्धंसंति
२३५-१ विण्णात
६६-१९ -विद्धंसे हिंति
२९४-२ ३२-१३, ३०३-१८,३०६-१०,
विद्धंस ९-१४, १०-२, ४९-११, १५७८३५-१२
१०, २३१-१५ विण्णायधम्म
३९८-३ विद्धंसणधम्म
४६१-७ विष्णु विज्ञ
७६-१, ८५७-४ विद्धंसणया
५८-१६ वितत = वितत-पटहादिवाद्य १९४-३
विन्नत्त
७३५-१३ विततपक्खि
७३८-२० विन्नाथ
८५४-२३ वितिकिण्ण १५-५, १२०-७, १२१-८,
विपलायमाण
१४८-७ १६३-१२ विपुल[पव्वय]
९२-२, ९४-३ वितिकिंछित
२६-६, ३०-९ विप्पजढ
२७९-१ वितिगिच्छिय ७८-१३, ५२५-२
* विप्पजह वितिगिछिय
४९५-४ -विप्पजहामि ७११-२५, ७१३-२१, वितिमिर ४७३ -५
७१४-१ वितिरिच्छ १४८-२ -विप्पजहाय
७५-१० वित्त प्रसिद्ध
४५०-६ -विप्पजहिता ७१३-२२, ७१४-२, * वित्तास
१०६८-२३, १०६९-१ -वित्तासेंति १४२-१५ विप्पजहमाण
८०५-८ वित्तासेमाण
१४८-६ विप्पजहियव्व ४६१-७,४६२-१, ४६३-१० वित्ति-वृत्ति-जीविका
२९५-१५,
*विप्पडिवज ३५९-९, ५७०-१० । -विप्पडिवजिहिति
विण्णाय
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