Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुकमो १४८१ सद्दो पिट्ठ-पंतीए । सहो
पिट्ठ-पंतीए विओसरणता-°णया १०२-१४, ४५२-१० विक्खिरमाण
७६५-१९ विकड __७०८-१५ विग- वृक
२९६-३ विकड्ढी १३६-१, ७२६-२०, ७२७-८ * विगच्छ विकत्ता = विकर्ता-जीवशब्दपर्यायः ८५७-६ -विगच्छति
२२७-२० विकप्प ३०४-१० -विगच्छिस्संति
२२७-२०, २२८-३ विकरणकर ४१६-१६ -विगच्छिसु
२२७-१९, २२८-१ विकलरूव २९४-१४ विगत विगत
२२८-१० विकिण्ण
४६०-७ ,, = विकृत
२९४-१७ * विकुम्व
विगतचे?
२९५-४ - विकुव्वइ १४७-१५, १६०-३, १६२-७, विगतपक्ख
३-१४
विगति = विकृति - घृतादि ११८६-१२ -विकुब्वति १२०-१२, १२१-१३, १२५- , = विगति-विगमन
४४८-२३ १९, १६५-१२, २६८-७ विगय=विगत
४६२-१० -विकुव्वंति १२७-८, १२८-७, १३४-७
विगलिंदिय २३५-१९, २४४-९, २४५-१, -विकुग्वित्तए ११९-१६, २०९-७
५८५-६, ७९३-२५, ७९८-विकुश्वित्ता
१६२-४
१८, ८१२-४, ८४७-१४, -विकुब्बिस्सति १२०-१२, १२१-१३,
९९३-२० १२५-१९ विगलेंदिय
२३२-८ -विकुव्विस्संति १२७-८, १२८-७ विगहा=विकथा
१०३-९ -विकुन्विसु १२०-१२, १२१-१३, १२५- विगह = विग्रह-शरीर ७४०-१२, ७४१-१, १९, १६३-१४, १६४-५,
८०३-१७ १६८-१४ ,, = , -वक्रगति ६५९-४, १०६९विकुठवणा
१६५-२०
. ५, ११२५ तः ११३४ पृष्ठेषु विकुव्वमाण
१६०-२
विग्गहकंडय-विग्रहकण्डक-वक्रावयव विकुम्वेमाण १४२-१५
६३८-२१ विकुस= विकुश-तृणविशेष २६२-७ विग्गहगतिसमावनग-नय ५३- १३, २४९विक्क्य १७५-११
१८, २५२-२४, २६४-४, विकंत
५४०-३
२६५-६, ६५९-१५, ६६०विकिणमाण
२०६-३
९, ६६९-२, ६७०-४, विक्खयतणु २९५-१
९९५-१३ विक्खंभ ८२-१५, १०८-२१, २४८-३, विग्गहविग्गहिय = विग्रहविग्रहिक४०९-१,५०४-१४ ६४०-१४, शरीरविग्रहिक
६३८-२० ७१२-८ विग्गहित-हिय १११-५, २२८-६, विक्खिण्ण ६५९-१, ७६५-१९
६३८-१७ *विक्खिर
विग्ध
४७३-३ -विक्खिरइ ७६५-१९ विचिकिच्छिय
पृ० ५२५ टि० २ -विक्खिरेजा
६५९-२ | विचित्त = विचित्र ९०-११, ४५४-८, ४६९
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