Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सद्दो
वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सद्दाणमणुक्कमो १४७९ पिट्ठ-पंतीए । सहो
पिट्र-पंतीए वावहारियनय ८१३-१४, ८१४-४
८०२-२४, ८७७-८, १०३९वावी
३८२-३ * वास= वृष
वासकोडाकोडी = वर्षकोटाकोटि- ७५३-२०, - वासति १०९-१, २४९-९, २६३-१७
अब्दकोटाकोटि ७५४-७, ७५५-३ - वासंति
७००-१, ७७०-२ वासकोडी = वर्षकोटि-अब्दकोटि ७५३-१८ -वासिहिति
७३३-११
वासग = वर्षक-वर्षीय ५४७-१६ -वासिहिति
२९३-१६ वासघर = वासगृह ५३७-११, ५४२-१८, वास वर्ष-वर्षा १४८-५, १७५-५,
५९५-१६ २४९-९, २६३-१७, २९३- वासपुहत्त = वर्षपुथक्त्व - अब्दपृथक्त्व १६, ३११-९, ५३३-१०,
३९०-१२, ५१४-१५, ८९१७००-१, ७६९-२४, ७७०-२
१४, ८९७-१५, ९००-२, वास=वास-अवस्थान ६७-१२, ६९३-३,
९२०-८, ९२१-११, ९६०-२, ७१३-१६
९६७-१७, ९६८-९ वास क्षेत्र ४६-२०, ६२-६, ९५-२,
वासपुहत्तद्वितीय ९५६-२१, ९५८-१२, १३०-१४, १३४-९, १३५
९५९-९ २२, १३८-५, १४०-६, वास[भत्त]
१४०-८ १४४-७, १४७-६, १५४-३, वासमाण
१४८-५ २६४-२, २९३-८, २९४-५, । वाससत १८६-२, २६१-११, ७१२-१५, ३११-२२, ३१२-५, ४९३
७५३-८ १३, ४९५-२०, ४९६- १३, वाससतसहस्स १८६-२, २६०-४ ५५७-८, ६४७-१, ६८१-४, वाससय २६०-३, ६०४-१०, ७१५-१, ७३२-६, ७४०-३,७४१-१८,
७५४-५, ८२१-९, ८२२-७, ७५६-२४, ७५७-५, ७५८
१०५६-१५ २०, ७६०-१४, ७७३-२०, वाससयसहस्स ६०४-१६, ७५३-१४, ८२१८००-१६, ८७८-१
१३, ८२२-१, ९३१ तः ९३४ वास = वर्ष-अब्द ३-१५, ६७-१०, ९३
पृष्ठेषु, ९४१-१८, ९५५-७, १६, १३५-१०, १४५-५,
९६२-१५, १०१२-१७ २२३-१६, २९५-७, ३८६- वाससहस्स ३-१७, ६-१३, ७-८, ८-८, २१, ३८९-६,४५४-९,४७९
११-६, २४-१२, १८६-२, १९, ४८१-१, ४१४-१८,
२२३-१७, २३७-८, २६०-३, ४९६-१७, ५५३-८, ५५४
२६१-१९, २९५-१५, ३८५१५, ५५६-२५, ५९५-१३,
१३, ३८६-४, ३९०-२,५१२६०४-१४, ६४६-१६, ६८९
२३, ५५५-७,५५६-३,५५८१२, ६९३-३, ६९८-१५,
५, ६०६-१४, ७५३-१०, ७१३-२३, ७१४-३, ७१८
८२१-११,८२२-१,८३५-१६, १४, ७२९-२६, ७३७-६,
८३६-५, ८७८-१, ८९७-१४, ७४२-१६, ७५३-८, ७५४-५,
९०७ तः ९१० पृष्ठेषु, ९१२-१६, वि. ३/२७
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