Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 446
________________ वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो १४६९ सद्दो पिट्ठ-पंतीए । सद्दो पिट्ठ-पंतीए लोहियविण्णपरिणय] ३२५-२ वइपणिहाण ८१६-१५ लोही = लौही २१७-१०,५१६-२०, वइपोग्गलपरियट्ट ५८२-९, ५८५-७, ५१८-५, ५२०-१, ५२२ ५८७-४ १८,५२५-१३ वइपोग्गलपरियनिव्वत्तणाकाल ५८६-२३ ,, = वनस्पतिविशेष २८५-१८,९०१-५, वइप्पयोग २३५-१६ ९०२-३, ९०३-१० वइप्पयोगपरिणय ३२७-१,३३२-१३ लोहीतग ६८५-१० वइप्पयोग[परिणय] ३३१-९ ल्हसण ३५९-८ वइयोगि ११५५-९ वइर-वज्र १११-५, ३०५-८, व ६५५-८, ८१४-१ व%वा ४-४, ६८२-१६, १०४३-८ वइरपेला ६५३-१४ * व वइरभार ६५३-२१ -वइत्ता २०५-४ वइररतण ७०८-३ वइ = वाच् २०१-९,८३५-५, वइररासि ७६५-१४ १०६३-१४ वइर[वासा] १७५-६ वइअगुत्ति = वचोऽगुप्ति ८५६-१४ वइरविग्गहित २२८-६ वइकरण = वचःकरण २३२-३ व [इरवुट्टि १७५-८ वइगुत्त-वचोगुप्त ८७-१८ वइरामई = वज्रमयी ८३९-९१ वइगुत्ति-वचोगुप्ति ८५६-७ वइरामय% वज्रमय ४९८-८, ८३९-२१ वइचरिय = व्यतिचरित पृ० ५९३ टि० १० वइरित्त = व्यतिरिक्त ६७७-२ घाइजोग = वचोयोग ६३-१९, ५९१-३, वइरोयण = वैरोचन-लोकान्तिक६३०-१४,.६३१-७, ७४७ देवविमान २५४-३ ११, ७७६-१६, ९७१-२३, वइरोयणरण्णो- °रन्नो वैरोचनराज्ञः ९७२-१, ९७३-६, १०७८ ४९५-१६, ४९९-२०, २३, १०१९-२ ७७०-१८, ७७१-२ वइजोगचलणा ७८२-९, ७८३-५ वइरोयणराया= वैरोचनराजा १२३-१७, बइजोगत्ता ९७५-८ १२४-१३ वइजोगनिव्वत्ति ८४९-१९ वइरोयणिंद १२३-१६, १२४-४, १७६वइजोगि ३९-१४, ३४८-१७,४१५ १२, ४९५-१६, ४९९-१५, ३, ५०९-९, ६१६-१६, ७७०-१८, ७७१-१ ६१७-६, ७९६-५, ८३४- वइरोसभनारायसंघयण ४१५-८, ५२६-७ १६, ९०६-११, ९३०-२०, वइरोसभनारायसंघयणि . ९१२-४, ९१५९३४-१८, ९३५-९, १०३० १८, ९१६-२ २१, १०७३-२१, १०७४- वइविणय = वचोविनय १०६४-१०, १५, ११४४-११, ११५६-१, १०६५-१३ ११६२-१३ । वइसमन्नाहरणया ७८३-१४ बइजोय ३९-१८, ७४६-७, ७७५-२५ । वइसाह [मास] ८३१-९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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