Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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" -व्रजत्
१४७४
बिइयं परिसिटुं सद्दो पिट्ठ-पंतीए । सद्दो
पिट्ठ-पंतीए वय=व्रज
५४९-५, ५९७-८ वरसिट्ठ [विमाण] १६९-११, १७२-३ ,, = वचस्
४६१-१६, ४६२-७ वरसिद्ध [विमाण] पृ० १६९ टि० ५, वयकरण = वचःकरण पृ० २३२ टि. २
पृ० १७२ टि. १ वयजोगि=वाग्योगिन् २४१-३, २४५-५, वरा=धान्यविशेष
८९४-११ ८५३-१६ वराभरणधारि
५९२-११ वयण = वदन ६४०-४, ५३९-९, ६३८-९ वरिसधर = वर्षधर-वर्धितकमल्लक ,, = वचन ५५-१८, १३७-२०, १३९
५४९-२२ १७, १७०-१२, १७४-२१, वरिसारत्त = वर्षारात्र - अश्वयुजादि २००-६,३०४-९,४५१-१५,
२८४-२० ४६६-१७,५५२-१७ वरुण = वरुण-असुरकुमारदेव १७६-११ वयप्पयोगपरिणत-°णय ३२७-१६,३३१-११ वरुण = वरुण-दिक्पाल
५२२-१ वयप्पवर =व्रजप्रवर
बरुण = वरुण - लोकान्तिकदेव २५४-१२, वयमाण% वदत् २८०-३
२५५-७ ३६९-१०, ८२३-२२ । वरुण = वरुण-लोकपाल १६९-९, १७३वयमीसापरिणय
३३०-८
१७, १७४-१, १७७-२०, वथरागर
१७५-८
१७९-९, १८०-२, ४९९वयरोसभनारायसंघयणि ९२३-८
१०, ५०४-३ वयसमिअवाक्समित
८७-१७
वरुण = वरुण- एतन्नामा श्रमणोवयसा = वचसा ३५७-२, ३५८-१
पासकः
३०८-६, वथि = वाच् ८३५-७, ८५३-१९,
३०९-१, ३११-१, ३१२-१ ८५४-१५
वरुणकाइय वयी,,
पृ० २९ टि० ११ वरुणदेवयकाइय
१७४-२ जवर= वर-श्रेष्ठ १३१-२१, ३०५-१, ४६६-२४,
वरुणावरुणा-चमरलोकपाल५३५-१५, ६०२-११ वरुणराजधानी
४९९-१० वर= वर-अर्वाग्भागवर्तिन ८१०-१३
वलय = वलय-कङ्कण वरकोउय
५४८-११
,, = ,, -जलप्रवाहवेष्टितवरग=धान्यविशेष
२५९-७
भूभाग
५७-१० वरगंधवर
५९२-११ , -, -वक्रवचनादि ५८७-२२ वरणाण-दंसि ११८३-१२ वलयमरण
८४-१८, ६५२-३ वरतरुणी ४५५-७, ४६९-४ वली
२९४-१७ ३८१-३ वलीतरंग
२९४-१५ वरनाण-दसणधर २-२ वल्लभ
४६२-८ वरमल्लधर ५९२-१० वल्लि
३८१-४ वरवइरविग्गहिय - °हित १११-५,
२९४-१, ८९७-२, ९०१-५, २२८-५
. ९०३-२ वरवत्थधर ५९२-१० । वल्लीमूलथंभ
७६५-२२
१७४-२
वरत्त
वल्ली
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