Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text ________________
सहो
रवि
बियाहपण्णतिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुकमो १४६१ पिट्ठ-पंतीए । सद्दो
पिट्ठ-पंतीए - रयावेति ६४५-१४ । रहघणघणाइय
१४७-२३ - रयाति ४६७-६ । रहचरिया
७३५-२१, ७३६-१ रयुग्घाय १४८-५, १७१-४ । रहपवर
३०८-१३ १४८-२, ४६५-१२, ४७२-८, रहपहरथपथ
२९५-११ ५१९-५, ७५७-४, ७५९- रहमुसल ३०६-१०,३०७-२, ३०८-१०, २३, ८०२-७
३०९-७, ३१०-७, ३११-१
१८२-३ रहरेणु = रथरेणु - मानविशेष २६०-१८ रस ७६-७,१८१-५, २१४-१६, २१५- रहवर%D श्रेष्ठरथ
५५२-११ १३, २६७-११, २६९-१, रहसंगेल्ली = रथसमुदाय
४७२-५ २९७-२२, २९८-३, ४५५- रहस्स
७७-७, ७३०-२१ १०, ५०६-११, ६७१-३, रहस्सकड
८१-२ ८१४-१५, ८५३-१९, ८५४- रहित-हिय २९४-१३, ४६१-१४ १४, ८५९ तः ८६१ तथा ८६३ रंग
.. ४७३-५ तः ८६६ पृष्ठेषु, ९८३-१०, रंगट्ठाण
५३२-७ ९९६-९,९९८-७, १०००-३, रंगण = रङ्गण-जीवशब्दपर्याय ८५७-५
. १००३-२२ रंभा= रम्भा-बलिलोकपालाग्ररसओ=रसतः ८-१७, ८२८-१२ महिषी
४९९-१६ रसकरण
८५१-१३ राइ रात्रि
७२२-१२ रसतो रसतः
३२५-३ ,,राजि
२५१ तः २५४ पृष्ठेषु रसनिव्वत्ति
८४८-२ ,,=राजन् ५१९-१९,५४७-१, रसपजव
८२-१९
६४२-२२, ६४४-२४,६८६रसपरिच्चाय १०६१-४, १०६२-१६
१, ७३३-२३, ७३४-९, रसपरिणय ३२६-१६, ३३०-१५
७३५-१२, ८३२-१० रसपरिणाम
४००-३ राइण्ण विंस]
८७९-३ रसभोइ = रसभोजिन् २७८-१८ राइन्न राजन्यवंशीय
४५६-१४ रसभोतिरसभोजिन् १०६२-७ राइय = रात्रिक
१४७-७ रसमंत ७४-७, ८७०-१६ राइथा =रात्रिका
७६३-९ रस[मंत] ११४-११ राई = रात्री
पृ० २२५ टि० ११ रसवई
पृ० ५३ टि० २ राइंदिय ८९-५, २२२-२०, ५३९-२२, रसवाणिज ३५९-१५
९३६-२, ९४५-७ रस-विगति
५२-३ राइंदियसय रसहरणी
५३-१३
राइंदिव ९१-१८ राजा=राजा
१७६-४ रह-रथ २०३-१७, २१७-९, ३०४
राग ६,३०५-५, ३०७-३, ३०९
.. ४७३-३, १०१७-३ ६, ३१०-७, ३८२-११,
रागद्दोसविणिग्गह
१०६३-५ ४५८-८, ४५९-१३, ४७२
रातिरात्रि
१८३
१८३-३, १८४-४, १,५४९-१० ।
१८६-१९, १८७-७
रस्सि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556