Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सहो
रोस
रेणुबहुल
बिइयं परिसिटुं पिट्ठ-पंतीए
पिट्ठ-पंतीए रूवसंपन्न १०१-५ रोय रोग
१७३-१ रूवि ११४-८, ११६-९, २९७-३, रोयमाण
४६०-१४ ५२८-२१,६४७-१०,६४९
५८७-१६, ७०८-१३ १, ७८०-७ रोह = रोहनामा निम्रन्थः ४५-१५, ४६-४, रूविअजीव
४७-११, ४९४-४ रूविअजीवदव
९७२-१२ रोहिणी = रोहिणी-शक्रारमहिषी ५०३-८ रूविकाय ३१३-३, ३१४-१४
" = , -सत्पुरुषेन्द्राग्ररूविदव्व
३५०-७
। महिषी ५०२-५ रेणु
२९३-१२, ६९९-१९ , = ,, सोमलोकपालाग्र२९४-७
महिषी
५०३-१६ रेरिजमाण २८५-३, ६९९-३, ७२८-१ ,, नक्खत]
११८७-१० रेवती [समणोवासिया] ७२८ तः ७३१ पृष्टेषु रोहियंस
८९५-१२ * रोअ= रुच -रोएइ ४७९-१६, ४८०-५, ६९९-१३ -रोएति
४१४-१४ लअ%लव-शाल्यादिनालमुष्टि ६७८-५ - रोएत्ता
लउय
८९८-१४ -रोएमि ६६-२०, ८६-४, ४५९-१ लउथवण
१४-१५ -रोएसि
लक्ख% लक्ष्य
२७६-७ -रोएहि
६७-२ " = लाक्षा
३८१-१२ -रोएंति
५५५-१२ लक्खण १४६-५, ५४५-८, १०६६-२२, - रोयइ
३२-४
१०६७-३, ११०२-१७ - रोयति ३२-३, १२२-१४ लक्खणगाहा
७९७-६, ७९९-२१ - रोयंति
४७७-२४, ४७८-२ लक्खणपसत्थ-प्रशस्तलक्षण ५३८-९ - रोयेंति
___ ७०८-११ लक्खण-वंजणगुणोववेय ८१-१५, ४६१-१२ रोइअ ६६-१८ लक्खवाणिज्ज
३५९-१५ रोग १७२-१६, २९३-१५, ४६१ ४, लच्छी
५४९-४ लज्जासंपन्न
१०१-५ रोग [परीसह ३७५-१७ लजिय
७२३-१५ रोगायंक ८६-१९, ४६४-८, ४७६-२२ लज्जु
८७-१८ ४७८-१०, ७२८-१०, ७२९- लट्ठ
४६१-१४, ५३८-६ १, ७३१-१६, ८३०-७ लट्ठि ३६२-७, ३६४-११, ४६०-१२ रोद्द [झाण] १०६६-१६, १०६७-१ लट्ठिया
६८१-५ रोम ५३-७, ५४-२, १६३-१३, लद्ध १२६-१४, २०२-१४, ६७५-१०, १९१-५, ५९७-१४
७५७-१७, ८३०-२६ रोमकूव १९६-१६, ४६०-२, ५३८-१६, अलट्ठ १००-९, ४५०-१७,५३३-१३, ५३९-१५, ७४५-१५
६४३-१२, ७५९-३, ८०१-१ रोमज्झाम
१९१-५ । लद्धावलद्धि
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