Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 443
________________ १४६६ बिइयं परिसिटुं सहो पिट्ठ-पंतीए । सहो पिट्ठ-पंतीए लिक्खा=लिक्षा २७०-७ - लूहेत्ता ४६७-८ ,, - , - परिमाणविशेष २५७-२०, -लूहेंति २६०-१९, २६१-१ १६२-१४, ४७६-११ लित्त १३०-१, २५८-१८, ११८७-१ लहाहार ४८१-१२,१०६२-१७ लित्ता [साला] ६३८-८ लेच्छइ ३०४-२, ३०५-१२, ३०६-१३ लिवि लेण ११२-६, २१७-३, ३८२-५, लिहंत ११८७-१८ ६४०-२२ लिंग = लिङ्ग-वेष १३६-३, १०१७-४ लेण[जंभग ६८३-८ "3, -श्रमणवेष ४१४-१५ लेव = लेप-लेपन २७५-१७ लिंगकसायकुसील १०१८-७ * लेस = श्लिष् लिंगपडिसेवणाकुसील १०१८-५ -लेसेति पृ० २०७ टि० ११ लिंगपुलाय १०१७-१८ -लेसेह ३६९-४ लिंगंतर लेसणय ३८१-१२ * लिंप लेसणाबंध ३८१-८ -लिंपति २७५-१६ लेसा= लेश्या-तेजस् लीलहिय लेस(सा)=,, -आत्मपरिणाम १०७१-४ लीलायंत ५३८-१० लेसा, -, १९-१, २१-२१, २२-२, लुक्ख ९०-१४, १३३-३ ३५-१९, ३८-१६, ४०-८, लुक्खत्त ७८०-१५ २८६-१०, ५०६-१०, ५१४लुक्खपोग्गल ३०३-१३ ६, ५५४-६, ६१९-४, ७९४लुक्ख[फास] २६९-३, ६७७-१, ९, ८५४-६, ८९४-२१, ८१४-४, ८२८-१४, ८५९ तः ८९५-६, ८९७-१३, ९०३८६२ पृष्ठेषु, ८६६ तः ८७० १५, ९६९-१, १०३२-८, पृष्ठेषु, ९९८-२०, १०००-१६, ११५४-६, ११५६-१७, १००४-५ ११७०-२५ लुक्खफासपजव ९८३-११, ९९२-९ लेसाठाण ६२६-१ लुक्खफासपरिणय ३२६-२१, ३३०-२४ लेसापडिघाय ३७७-१७ लुक्खया ३८०-५ लेसाभिताव ३७७-१८ लुक्खि =रूक्षिन् ६६७-४ * लेस्स =श्लिष् लुत्ततेय ७१९-९ -लेस्सेति २०७-१८ लेस्सट्ठाण ६२१-९ लुंचमाण ७२०-१४ लेस्सा = लेश्या-आत्मपरिणाम १६१-१५, * लुंप १७९-४, २४६-२, ४१४-८, -लुंपित्ता ३५८-२२ ६१९-४, ६२२-२२, ६२४* लूह ११, ६५८-१४, ७७१-२०, -लहेइ ७२५-१४ ७८९-१७, ८३३-२, ८३४-लूहेति ५१९-६ १०, ८५३-१२, ८९३-९, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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