Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 440
________________ सहो वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सद्दाणमणुक्कमो १४६३ पिट्ठ-पंतीए । सद्दो पिट्ठ-पंतीए रिट = रिष्ट - वायुकुमारदेवविशेष १७७-४ रुद्द = रुद्र - महादेव १३२-१५ रिट्ठ [मणि] १२०-४, ६५५-८ रुद्द = रुद्र - देवविशेष १७३-१० रिट्ठ [विमाण] २५५-४ रुधिरनिवडण १७२-१६ रिट्ठविमाणपत्थड २४७-२२ रुप्पमास-रूप्यमाष ८३१-१२ रि? [विमाणपत्थड] २५१-७,६२९-७ रुप्पामय रूप्यमय ५४९-१३, ५५०-१ रिट्ठाभ = रिष्टाभ रुयगप्पवहा [दिसा] ६२९--१८,६३०-६ लोकान्तिकदेवविमान २५४-४ रुयगवर ८२१-५, ८८१-७ रिद्धस्थिमिय ६९१-१९ रुयगादीया [दिसा] ६२९-१८, ६३०-६ रिय= ऋत-सत्य ३६९-९ रुयगावती = रुचकवती- भूतानन्द,, =रीत-रीति, स्वभाव १८९-१४ लोकपालाममहिषी ५००-१८ रिया = ईर्या १०६-८, २७७-६, ३१३-९ रुयगिंद [पव्वय] १३४-६, ७७०-२० रियाअस्समिति ८५६-१२ रुयगिंदप्पभ ७७०-२४ रियावहिया [किरिया] २७६-२४, २७७-२४ रुयय ६२९-११ रियासमित-मिय ६०२-१४, ८०२-२० रुरु= वनस्पतिविशेष ९०१-१२ रियासमिति रुहिरकद्दम ३०७-४ रिव्वेद ४५०-६, ६९२-१, ६९६-१८, ७२०-१४ ८२९-२ रूढ ५६८-१८ रिसि १३५-१०, ५२३-९, ५२४-१६, रूय =रुत-कर्पासपक्ष्म ५३८-२ ५२५-१ , =द्वीपकुमारदेवविशेष १७७-१ * रीअ =री- चल् रूयकंत= -रीयति २९६-२०, ४८८-११ रूयकता=रूपकान्ता-भूतानन्दलोकरीय रीत-गमन ३६९-४ पालाग्रमहिषी ५००-१८ रीयमाण २७७-६, २९६-१९, ३६९-४, रूयनालिया ८२२-१७, ८२७-१७, ८२४-४ रूयप्पभ द्वीपकुमारदेवविशेष १७७-१ ८२२-१७,८२३-१७,८२४-४ रूयप्पभा - रूपप्रभा - भूतानन्दलोकरीयावहियाबंधय पृ० २३६ टि० २ पालाग्रमहिषी ५००-१८ रुक्ख १५९-१३, १७१-२, २७४-१८, रूयंस द्वीपकुमारदेवविशेष पृ० १७७ टि०२ २९४-१, ३१९-३, ३५२- रूयंसा= रूपांशा - भूतानन्दलोक२४, ४८४-२१, ६०१-७, पालाग्रमहिषी ५००-१८ ६५४-१२, ७३९-७, ७७४- रूया = रूपा २२, ७७५-११ 卐रूव १३४-७, २६७-११,३०१-२, रुक्खत्ता % वृक्षत्व ६८०-२३, ६८१-७ ४५५-१०, ५४८-१२, ६५३रुक्खमह ४५६-१३ ७. ७६३-१०, ८१८-२२ रुक्खमूल २६२-७ रूवअमद ३९४-११ रुक्खसंठिय वृक्षसंस्थित-विभङ्ग रूववती = रूपवती-भूतेन्द्राज्ञानभेद ३३७-१६ ग्रमहिषी ५०१-१३ १४६-१५ । रूवसहस्स ६८५-३, ८२०-७ वि. ३/२६ रीया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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