Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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मोस
योग
१४५८
बिइयं परिसिटुं सहो पिट्ठ-पंतीए | सहो.
पिट्ठ-पंतीए मोग्गल
५५७-१८, ५५८-३ मोढरी
९०२-१९ जय ४-९, ७-५, ८-१, ९-१६ मोत्तिय
१३०-२२, ३५५-१३ यजुव्वेद मोय = देवविशेष पृ० १७४ टि. ९ यरिया=चर्या १०६-४, ३१३-८, मोयअ=मोदक ११५-३
५५८-१८,६९२-८ मोयइ = वनस्पतिविशेष
°यल =तल ९३-२, १३६-१२, ७३५-६ मोयय = मोचक
२-३ याच ७०६-२० ७०७-८, ७०८-२ मोया ११९-७, १२९-४, १४०-१२ याई-अव्ययम्
८०७-७ मोरियपुत्त
१३०-१५, १३३-२ * याण मोलि [जणवय] ७२१-५ -याणंति
६५-१३ मोल्ल-गरुय
-याणामो
७३-१४ ३२७-१२
१०७१-५ मोसमासानिव्वत्ति
८४७-७ मोसमणजोय
९७१-८ मोसमणप्पओगपरिणय
३२१-१७ रअ% रजस्-धूली
२९५-५ मोसमणप्पयोगपरिणय
३३२-१८ रइयग
२०९-१६ मोसमणप्पयोग[परिणय]
३२७-४ रइलिय
२३५-५ मोसमणमीसापरिणय
३३०-११ रक्खस
१००-७ रक्खसिंद
५०१-२० मोसवइजोय
रज मोसवयप्पयोगपरिणय
५१६-१५, ६४३-१९, ३२७-१५
६४४-६, ६४६-३, ७३५-१ मोसा[भासा) २७९-२०,२८०-३,४९३
रजकंखिय
५४-१४ १४, ६४८-५, ७४९-१२, रजकामय
५४-१३ ८१५-८ रज्जधुरा
५१६-१३ मोसाणुबंधि
१०६७-१ रजपिवासित
५४-१४ मोह २०२-१७,५४५-३ रजमाण
३६४-७ मोहजाल
३००-४ रजलाभ
५३९-२१, ५४३-१८ मोहणिज ३१-४, ३२-२, २३७-११, रजवति= राज्यपति ५४०-४, ५४३-२१, ३७५-१२, ४०३-३, ४०४
५४४-१४ ६, ४१६-१५, ६६१-८, रजसिरी
५५२-१६ ७६३-२३, १०३४-११,
३८१-४, ७६५-४ १०३५-११, १०४३-१०,
रजुय= रज्जुक
४५१-११
५१६-१५,६४४-८, ७३५-१ १०५३-२,
रट्ठ १०७६-१५, करण्णा=राज्ञा
१३०-७,३०४-८, १०८३-१५, ११६२-८
५३९-५, ७३६-३ मोहणिजकम्मासरीरप्पियोगनामकम्म]
करण्णोराज्ञः ११०-१२, ३०४-१३, ३९३-२०
४९४-९, ५०१-६, ६४०-५, मोहणिजकम्मासरीरप्पयोगबंध ३९३-१८ ।
७३४-१
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