Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१४५०
सो
महाविस
महावीर [जिण]
महावुट्टिकाय
१९७-६
महावेदण २३०-८, २३३-४, २३४–१२,
महावेदतराय
२९०-२२, २९१-२ २०७-७, ३१७-३,
८११-२३, ८१२-१
१८-३, ८४१-३, ८४२-३
महावेयण महावेयणतर महावेयणतराग
६२७-४, ८४३-७
२१-१२
महासत्य निवडण
महासमाण [विमाण ]
महासमुद्द
महासरीर
पिट्ठ - पंतीए
७०८-१२
१–१४, १०५–१४, २१९-८, ३१०-१३, ४२०१७, ५२३-६, ६०१-१५, ७०४-१७, ८०३ - १४,
११८३-१
महासव महासवतर
महासवतराय
महासंगाम
महासामा [विमाण]
महासिला कंटय
महासुक्क [देव]
""
बिइयं परिसि
सो
महासेल
महासोक्ख
१७२-१५
पृ० ७५६ टि० ४
४६३-१९
१६- १५, २०-१३,
६६३–२१, ६६४-१०
२३४ -११, ८३३-२
६२७-४
२०७-७, ३१७-३
१७२-१५
१९८ - ३, १९९ - १५,
७५६-१४, ७५७ - १४, ७६०-३
३०३-१८, ३०५ - ७, ३०६-१, ७२१-१३
महासुविण
१२८-१९, २२३-१५, ६८६-२, ८२१-१५, ९५०
१६, ९६७-७
[कप्प] १९८ - ३, १९९-१५, ६८०७, ७३२–२, ७४१-१२, ७५६-१३, ७५७ - १४, ७६०-३, ८७२-३
५३८-४, ५३९-१०, ५४३४, ५४४ - ११, ७६२ - १०,
७६३-१
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महाहारग
महिड्डिय
महिड्डिय
महिदियतराय
६६१-२१
महिड्ढीय ५५ - २, १२२–२, २४८–१०,
पिट्ठ- पंतीए
५३८-५
११९-१५
२८४-१९
१४३–१९, १९९-१६, ४९२१४, ६६५ - १०, ७३३-२१,
७७२-५
६२७-७
महित = महित
महिमा
महिय = मथित
महिसावलिया
महिसी
महु
महुगंगा
महु-घसंजुत्त
महिया
महिला = मिथिलानगरी महिस
महुर
महुर [स]
४९१–२, ५०४ - २०, ६६८
८, ७२२-१३, ८२०-७ ६८१-१
१४२-६, ६६२-१८ ३०५-१२, ४६९-१०
महुरत
महुरयण = वनस्पतिविशेष महुररसपरिणय महुत्थि
संगी
महेग = महदेक महेसक्ख
४६२–५, ५३९–४, ६५६-५ ७६-७, ५४४-२६, ६७६२४, ८१४–१, ८२८–१३, ८५९ - ३, १००३-२२
७८०-१५
८९५-१२
३२५-४, ३३०-२३
३८१-१२
९०१-१३
६७४-६, ७०६-१२ ५२ -२, ५३०-११, ६७१–१४,
७२२-१३, ८२०-७
महेसरी [ग] महोयासतर
महोरग
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१७१-४
पृ० ४०६ टि० २ १००-४, ३५३-१५
३५३-१५ १२१-१
५२१-१२
पृ० ७१२ टि०५ ६९६-२०, ६९७-४
६८१-७ पृ० ६२७ टि० १
१००-७, ७३८-२५
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