Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो १४५५ पिट्ठ-पंतीए । सहो
पिट-पंवीए १६, ९०६-७, ९२३-१०, * मिला ९३०-१९,९३४-१७, ९३५- -मिलाइत्ता
५६४-२२ ८, ९३८-१, ९५९-१५, - मिलायंति
५६४-२२ ९६४-१५, १०७२-१३, मिसिमिसेमाण १३५-२१, ३०९-२१, १०७४-११, १०७७-१,
७०४-२४ १०९२-१८, १११०-१३, मिस्सकाल
२२-१० ११६२-१२, ११८२-५ मिस्सजाय
४६४-१ मिच्छादिट्ठिउववन्नग २१-११ मिहिला
४०६-७ मिच्छादिहिनिव्वत्ति ८४९-४ मिहो-मिथः
५५५-४ मिच्छादिट्ठीय ७९४-२० मिहोकहासमुप्पन्न
३१२-१७ मिच्छावादि ६९९-१४, ७०३-९, ७१९- मिंज
६८९-१० १, ७४९-१२ मिजा
५४-२, १००-९ मिच्छाविणय ७३५-१३ मिजिया = फल
२७६-१ मिजमाण = म्रियमाण
मीणगा=मीनका-बलीन्द्राप्रमहिषी मित = मित २७२-१६, ५४४-२७
४९९-२२ मित्त = मित्र १३१-३, १३२-२, ४७४.- मीसकाल
२२-१५ १०, ५१९-१७, ५४७-१,
मीसग
९६९-११ ___ ७५९-१९, ८०२-३ ,, [आहारगसरीर]
३३०-२ मित्तसरिसव= मित्रसदृशवयस् ८३०-१८ , [वेउब्वियसरीर] ३२९-१९ मिदु
७१३-१३ मीसय २१६-८,२१८-३, २२५-१२ मिय = मृग ५७-१३,५८-१३, ५९-१
[उवहि]
८१६-४ , =मित १९४-१५, १९५-१, २०२- मीससापरिणत ३१९-११, ३३३-१ २३, ४४८-८, ४६२-५, मीसा
४०-१० ५३९-४ मीसापरिणत-°णय ३२६-७, ३३०-८, मियगंध%= मृगगन्ध
२६३-१
३३१-५, ३३२-१, ३३३-३ मियपणिहाण= मृगप्रणिधान ५७-१२, मीसिय
४०-९ ५८-१३ मुइंग २७३-२१, २७४-१,५४६-१० मियवण = मृगवन ६४१-२०, ६४३-१, मुइंगमस्थय
४५५-६ ६४४-१ मुइंगाकारसंठित
२२८-६ मियवहाए = मृगवधाय ५७-१२, ५८-१३
मुक्क ६७-१४, १५०-१९,५३७-१३ मियवालुंकी ९०२-१९ मुगुंदमह
४५६-११ मियवित्तीय-मृगवृत्तिक ५७-१२, ५८-१२
मुग्ग
२५९-४, २७०-६, ८९४-३ मियसंकप्प- मृगसङ्कल्प ५७-१२,५८-१३ मुग्गकण्णी
२५८-१८ मियंक [विमाण]
५९४-१६ मुग्गपण्णी मियावती ५६८-५, ५६९-३ मुग्गसिंगलिया
७२२-८ * मिल
मुम्गसिंबलिया
२७५-२४ -मिलंति
मुच्छा
४६०-६,५८८-३
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