Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 430
________________ सहो वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो १४५३ पिट्ठ-पंतीए सद्दो पिट्ठ-पंतीए माया =माता ४६६-२२, ४६८-१३, ४७८- मालवंत ४१७-७ १९,५६७-१० | माला १४९-५, २७८-२३, ४७३-९, ,, = मात्रा ८७-४, २९९-४, ७०९-४ ५६२-२ मायाकसाइ २४४-१७ मालाउत्त २५८-१८ मायाकसाय ९०६-१९ मालाकारी ५५१-५ मायाकसायि ५१०-१९, १०७३-१३ मालिय=मालित-धारित ५४५-१६ मायामोस मालुय मायावत्तिया [किरिया] १८-८,२०-११, मालुयाकच्छग-च्छय ७२७-२५, २१-५, २०६-५, ३५४-१६ ७२८-२०, ७२९-४ मायावसट्ट ५६६-११ मास-माष २५९-४, २७०-६, मायाविओसग्ग १०६८-७ ८९४-३ मायासण्णा ३०२-४ "=", मास ८३१-४ माथि-मायिन् १६२-७, १६५-१२, , = मास ५९-१, ८९-१४, . १६६-४, ६५६-११ १८५-१६, २२२-२०,२२३मायिमिच्छद्दिट्ठिउववन्नग - °नय ७५७-१४, १६, २६०-२, ५३९-२२, ८१३-२५, ८१२-२६, ५४३-१९, ५४५-६, ५९४८१३-१ १३, ६९२-१३, ७०२-१३, मायिमिच्छादिट्ठिउववन्नग-नय २१-११, ७०४-३,७१३-१२,७१८-८, २०१-१४, ७५६-१५ ७१२-११, ७२८-१४, ७२९मायीमिच्छद्दिट्ठीउववन्नग २५, ७३३-८, ९३६-१०, मायोवउत्त ३५-६, ४०-१७, ४१-३ १०१२-६ * मार मासक्खवण ६९३-११, ६९४-६, ६९६-२ -मारेति मास खमण] ९०-११, १४०-८, -मारेहिति ७३४-१८ ४७५-८० मार=मार-मरण ८०५-७ मासपण्णी ९०३-८ मारणयाँ ५७-१८, ५८-१ मासपरियाय ६८५-१९ मारणतिय ८०५-९ मासपुहत्त ९१८-१४, ९१९-२, मारणंतियअहियासणया ७८३-१५ ९५३-१२, ९५६-१९ मारणंतियसमुग्घात- ग्घाय २५६-१९, मासपुहत्तद्वितीय ९५६-१५, ९५८-६ २५७-४, २५८-५, ११६३-३ मासरासिमाषराशि १४७-२१ ५१३-१, ७८८-२१, ८६५- मासवण्णी ९०१-५ १८, ९०६-२३, १०६९-१७, माससंगलिया ७२२-८ ११४४-२६, ११६३-३ माससिंबलिया २७५-२४ मारणंतियसंलेहणा २८१-२ मासंमास ६९३-७ मारय मासिय[भत्त] १०६१-१२ मारी १७३-२ मासिया[भिक्खुपडिमा] ८८-१०, ४८९-९ मालवग ७२१-५ । , [संलेहणा] ९३-१६, १२६-४, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556