Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 334
________________ सहो दिसीदाह दिसीभाग-भाय दिसोदिसिं दी = इति दीण दीणस्सर दीव = दीप दीव = द्वीप विवाहपण्णन्ति सुत्तं तग्गयाणं सद्दाणमणुकमो पिट्ठ- पंतीए १७१-३ ७६-२४, ८६-८, १००-१, ११९-८, १३३–१२, १३४-१, १४४–२४, १५०१८, १५३ - २१, ४५४-१, ४७४- १८, ५१६-१, ५२५२३, ५४१-१४, ५५४-१२, ५५९-८, ६४५–१९, ६८९-६, ७२७-२३, ७३५-१५ ३०५-१३, ३०६-२० ५२३-१४, ६७४ - २१, ६९१-१० ४६०-४ ५५-१७, २९४-११ ५४९-१३, ५५०-१ ६२-६, ७३-४, ४६ - २०, ११०-१३, ११२-१५, ११३१, १२० - ७, १२४-३, १२५१८, १२७ - १०, १२८-३, १३०-१४, १३४–९, १४२-२, १४७-६, १४९-१३, १६३१२, १७९-१३, १८२ - १४, १८७-३, २४८-११, २५२६, २६३ - ३, २९३-८, ३७७७, ३७८-५, ४०६ तः ४१० तथा ४९४ तः ४९६ पृष्ठेषु, ५०४-११, ५०५-६, ५२२१३, ५२३-२, ५२४-२, ५३०-१०, ५३९-२३, ६२९१०, ६४०-६, ६८१-७, ७३३–६, ७४०-२, ७४८-११, ७५६-२४, ७५७–४, ७५८२०, ७७० - १९, ७८५-२२, ८००–१६, ८२१-४, ८३३-२, ८४४-७, ८७७-८, ८८०-१, ११३६–९ १७४-२२, १७६-२०, ७७११५, ७७२-१, ७८९-२२ दीवकुमार Jain Education International १३५७ सो पिटू - पंतीए दीव [कुमार ] ३५-४, ७४३-३ दीवकुमारी १७४-२२ ७९०-३, ८५२-४ दीवकुमारस दीवचंपय = दीपस्थगनक ३६४-१२ दीवय ११८६-१६ दीव-समुद्द १२०-९, १२१-१०, १२४ २१, १२५-१, १२८-१२, १३४ - ९, १४२ - २, १४८ -८, १४९-१३, १५०-३, २६६५, ६४०- ७, ८४४-८ दीवसंठिय= द्वीपसंस्थित - विभङ्गज्ञानभेद दीवंत = द्वीपान्त दीविच्चय दीविय = द्वीपिन्- घ्याघ्र विशेष दीकाल दीहाद्वितीय दीहमद्ध [कंतार ] दीमद्धा [अडवी ] दीवेयड्ड दीहाउ = दीर्घायु दीहाउयत्ता दीहासण दीहिया दीह दु - दु = द्वि - दुण्हं - दुवे = द्वौ ,,,, ,, = द्वे (न० प्र० द्वि० ) ( न० द्वि० द्वि० ) (स्त्रि० प्र० द्वि०) "=") दु-अण्णाणि ३३७-१५ ४४-२ १८९-२ १६४–२०, २९६-३ ४९-१० १३-१० १३ - १३, १४-३, ४८१९, ६४४-९, ७४२-८ ७०५-१९, ७०६-१ ६८३-११ ५३९-२०, ५४३ - २३ २०५-७ ५५०-९ २१७-४, ३८२-३ ७२०-१४ For Private & Personal Use Only ३६-२ ३९७-६ ७१८-२१, ७२२-११, ८३१-२४, ८७७-४ २३०-१६ ७३०-१ ४६९-८ ३३८-४, ३४०-५, ३४३-१४, ९२३-११ www.jainelibrary.org

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