Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 398
________________ पुलायत्त वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो १४२१ सहो पिट्ट-पंतीए । सहो पिट्ठ-पंतीए पुरिसनिवडण १७२-१६ पुरेवात - °वाय = सस्नेहवात १८८-५, पुरिसपच्छाकड ३७२-२, ३७४-१६ १८९-११, १९०-२ पुरिसनपुंसगवेदय - °वेयय ४१५-१९, पुलग २-८ ४१८-२१, १०१९-१ पुलाकिमिय%द्वीन्द्रियजीवविशेष ७३९-६ पुरिसरूव १५९-२३ पुलाय-°लाग= पुलाक - निर्ग्रन्थमेद १०१७तः पुरिसवरगुरा ५३३-१६ १०१९ तथा १०११ तः १०२५ पुरिसवरगंघहत्थि १-१५ तथा १०२७ तः १०२९ तथा पुरिसवरपुंडरीय १०३१ तः १०४३ पृष्ठेषु, पुरिसवेद ९६-१४,९७-६, ८७५-७ १०४५-२, १०४७-६, पुरिसवेदग २४२-६,५१०-२३, ५११ १०४८-५, १०५०-२५, १, ६१६-११, ६१७-१, १०५१-३, १०५२-६, ६१८-१३, ६२२-१९,९०७ १०५४-२०, १०५७-४, ३, ९२३-१४, ९४०-१२, १०५८-१, १०५९-१ ९४६-२०,९५६-१,११४४- पुलाय=पुलाकत्व १०३६-५ १८, ११६३-१७ १०३५-१८ पुरिसवेदबंधग ५११-३, ११४४-१९ पुलिण पुरिसवेदय ४१५-१८,४१८-२१ पुलिंद १४३-१४ पुरिसवेदवज्झ १११५-१०, १११६-१३ *पुव %प्लु पुरिसवेयकरण ८५१-४ पुरिसवेयग २४५-९, ३४९-७, ९३०-२२ पुव्व पूर्वश्रुत ५५३-७,५५४-१४, ८०२१०७३-६, १०७४-१८, २३, १०२२-१७, १०४५-२५ ११६२-२१ ,,= पूर्व - कालमानविशेष १८६-२, २६०पुरिसवेयबंधग ११६२-२२ ५, १०१२-१७ पुरिसवेयय १०१८-१८,१०१९-१ ,,,, - प्रथम ५८-२२, ५४२-१३, पुरिसवेयवज्झ ११३५-३ ११५७-१७ पुरिसवेर ४८३-११ पुवकोडि ३८६-१ पुरिससय ४७५-८ पुव्वकोडिअब्भहिय ९०७-१७,९०८-१४ पुरिससहस्सवाहणीया पुवकोडिआउय ४१५-१५,९४६-९,९४८ पुरिससहस्सवाहिणी ४७०-१४, ४७४-२, तः ९५२ तथा ९५४ तः ९५८ ७२५-१६,७५९-२१, ८०१ पृष्ठेषु २३, ८०२-५ पुवकोडि[आउय] ९५६-२१, ९५९-९ पुरिसादाणीय २२८-४, ४४७-२१ पुषकोडिद्वितीय ९५८-२१ पुरिसुत्तम १-१५ पुष्बकोडितिभाग २३७-१३ पुरीस = पुरीष ४६२-१५ पुवकोडिपुत्त ५१२-१२, ९४९ तः ९५३ पुरुस पृ० १टि. १०-११ पुरेकड पृ० ५ टि. २५, पृ. ६ टि. २ पुरेक्खड़ ६-२, १८५-६, ५८३-१, | पुवकोडी १५८-७, ३८६-१५, ६०४५८४-५, ५८५-२ । १३, ६०६-११, ८२६-१५, -पुर्वति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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