Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सद्दो
वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुक्कमो पिट्ठ-पंतीए । सद्दो
पिट-पंतीए मस्या ८९६-८ महक्खम=महत्क्षम
४६१-१३ १४-१२ महग्गह
५०२-२२ मलय
७२१-५
महग्ध १०२-११, ४६५-८, ५१८मलिण
२९५-५
११, ६४४-२१, ७०७-११ मलिय
महग्घाभरण
४५१-१८, ४५२-१ मल्ल =मल्ल
४७३-३
महच्चपरिसा ५२४-१०, ७०४-११ , ,-कुडयावष्टम्भनस्थाणु ३६४-१६
महजुतिथर
६२७-७ ,, = माल्य १३१-८, १३२-२, ४५४
महजुतीय ५२-२, ११९-१४, १४४-१, २, ४६६-२४, ४६८-२,
१५१-१ ४७४-१८, ४७५-१, ५३३
महड्ढीय
६००-२०, ६०१-५ १५, ५४४-६, ५४६-१०,
महतरग-वंद
४५२-१३ ५९२-१०, ६४५-२०
महता=महता २३१-४, ३०९-६, मल्लइ ३०४-१, ३०५-१२, ३०६-१३ मल्लग
५५०-४
महताअप्पत्तिय =महदप्रीतिक २७७-२३ मल्लगमूलसंठित
२४८-१
महताअमरिस= महदमर्श ५१६-४, मलदाम ३०५-१,३०९-३, ४६९-६
७०४-२७ मल्लरामग = गोशालकपरिवर्तितनाम ७१३-१७,
महताजणक्खय-महा-जनक्षय ३०७-४ ७१४-२
महताहिमवंत = महाहिमवन्त ५१६-४ म[लवुट्टि] =माल्यवृष्टि
१७५-८
महतिमहालय २५८-९,५९६-२१, ५९८मलालंकार
४६८-९
१३, ६१९-२३, ६२०-३, मल्लि [जिण] ८७७-११
६२६-१८, ७६७-१४ * मव
महतिमहालिया ८५-२०, १०३-११, -मविनंति ५३६-१५
४५८-१८,५२४-१०,५२५मसग ८६-१९,४६४-७, ७१४-२३
२०, ५३३-१९, ५५९-३, *मसमसाव
५६०-२०, ५६९-४, ७०४-मसमसाविनइ-ज्जति १५७-७,
२३१-१३ महत्तर
६२६-१, ६२७-८ मसि-मूसाकालग ७०८-१३ महत्तरय
५४९-१२ मसूर=भिलिङ्गा, चनकिका २५९-४, महत्तरिया १२२-३,५३०-१२,५३१-११
८९४-३ महत्थ
४६५-८, ५१८-११, मसूरग ५४१-१८
६४४-२१, ७०७-१० मसूरचंदासंठाणनिव्वत्ति
८४८-१२ महप्पवेसणतर
६२७-१० मसूराचंदासंठिय
९३०-१८ महप्फल
४५६-४ * मह =मथ्
महब्बल=महाबल ५२-२, ५९५-१६ -महेति
५२१-६
= महाबलकुमार ५४७-५, ५४८-२, -महेमि १४८-१५
५५१ तः ५५४ पृष्ठेषु मह-मह-उत्सव १४२-५,४६०-७
महब्भय
१४९-७ वि. ३/२५
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