Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 404
________________ सहो वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुकमो १४२७ पिट्ठ-पंतीए । सहो पिट-पंतीए बद्धकच्छ ४७३-४ ५४८-९, ५६४-२०, ५६८बद्धचिंधपट्ट ३०५-१ १५, ५९५-१४, ७५९-४ बद्धपुट्ठ १५७-२२ बलिकारिणी पृ० ५५१ टि० १० बद्धमूल ७००-१ बलिकारिया ५५१-४ बब्बर १४३-१३ बलिचंचा [रायहाणी] १३३ तः १३७ पृष्ठेषु, बल = बल - सैन्य १४३-१५, ७३५-१ ४९९-१५,७७०-२४,७७१-२ ,,बलनृप ५३७-७, ५३९ तः ५४७ बलिपिंड ५३०-१३, ५३१-१२ पृष्ठेषु, ५५२-१९ बलिपेढ ७७१-३ बल २७-२०,२८-१०,६०-१३, बलिय ३७१-२३, ५७१-६ ९१-१४, १३३-८, १६७-४, बलियतर ४७७-८ १६८-४,२९९-८,४६१-१२, बलियत्त ५७१-१ ५१६-१५,५८८-१९, ६७०- बलियसरीर ४७८-११, ७३१-१७ १९,६९८-१, ८५७-२० बहल १६२-१५ बलअमद ३९४-११ * बहलीभव बलत्थ ५९५-१२ -बहलीभवंति १६२-११ बलदेव ५४३-११ अबहवे बहवः १३३-१९, २०७-२१, बलदेवमायरो=बलदेवमातरः ५४३-११, ३११-१३, ४५६-१३, ५५५___ ७६३-३ १, ६४१-१, ७३३-२३, बलमद ३९४-१४ ८१५-१६ बलवं = बलवान् ६५८-२१, ७५४-१७, बहस्सति १७१-१३ ८३९-१९, ८४०-९, बहिया ७६-२०, १०५-९, २४७-१७, १०६९-४ ३१५-१८, ४५६-३, ५१६चलवाहण ५४०-३ १, ६४१-१९, ७१३-२०, बलसंपन्न १०१-५ ८१७-११ बलहरण-बलहरण-'मोम'इति बहिल्लेस ८८-१ भाषायाम् ३६४-१५ १५-५, १२०-७, २९२-१५, बलाभिओग ३०८-१० ३१८-३, ४५०-७, ५१९बलाहग- हय १०८-२२, १६०-१५, ११, ६४०-१०, ७२६-९, १६०-१९, १६१-५, २४९ ८०२-२३ ८, २५२-१५, २६४-२२ २३४-३ बलि बलि - पूजाद्रव्य ५२१-१३ बहुकोह-माण-माय २९५-५ बलि= बलिन् -वैरोचनेन्द्र १२३-१६, बहुग ९९६-१५ १२४-४, १७६-१२, ४९५- # बहुजण १००-५, ३०७-२०, ४६२१६, ४९९-१५, ७४३-३, १६, ५२२-२१, ६८१-२१, ___७७०-१८, ७७१-१ ७०४-१५, १०६४-४ बलिकम्म १०२-९, १२९-१९, ३०४-१५, बहुजणमज्झ २०९-१८, २१०-३, ४७०-४,४७१-५,५४४-२४, | ८१९-१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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