Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 413
________________ १४३६ सो भवणवासि + देव पिट्ठ- पंतीए २३ – १४, ४२-८, २१८ ५, २२९-३, २७२-४, ३२१३२३-२०, ३३५-१२, ५, ३६०-८, ४४५–९, ५९६-६, ६०३-१३, ६०४-६, ६०५२०, ६०७-७, ६२१-२४, ६२२-२, ६८५-२, ७६४-२, ८२१-१९, ८७९-१०, ९३९११, ९५४ -७, ९५७ - २५, ९५८-३, १०२६-११, १०४८-१ ४४५-६, ४४६–२ भवणवासिदेवपवेसणगणय भणववासिदेवाउय भवणवासिय ५९६-७ भवणावास ११९-१७, १२२-१८, १२३ १९, १२४-१६ ६७५-१४, ६७६-१४ १५४–७, २७३-१७ ५४–४, ९४०-७, ९४६-१७, ९५९-१० ९४०-२, ९४६-१२ भवपच्चइय १४२-१४ भवपवंच ७५-१३, ७६-१० भवसिद्धिय ४६-८, १३९–१९, १४०-२, २३६-१३, २३७–१, ३४२-२, ६१६-३, ७५८-७, ११५३१९, ११५४-५, ११६७ - १८, ११६८-२१, ११८०-९, १९८१-१४, ११८२-२० ११४०-३ भवतुल्लय भवत्थ भवधारणिज [सरीर ] ३८ - १०, भवधारणिजा [ओगाहणा ] बिइयं परिसि सो भवसिद्धियए गिंदिय भबसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिय भवसिद्धिय कडजुम्मकडजुम्म एगिंदियत्ता १०९४ - १७, १०९६-१२ Jain Education International ११५२-११ ११५२-१३ भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्म बेंदिय भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मस निपंचेंदि भवसिद्धियकण्हलेस्स भवसिद्धियत्तण भवसिद्धियनेरइय भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्म नेरइय भवसिद्धीय भवसिद्धीय अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइय भवसिद्धीय खुड्डाकडजुम्मनेरइय भवसिद्धीय खुड्डा तेयोग नेरइय भवसिद्धीयविरहिय भवसिद्धीयसय भव गरिस पिट्ठ- पंतीए ११५७-१६ ११७९ - २१ १३९-२२, २३९-८, २४३-२१, २७१-१३, ५६९१६, ६१७-१७, ६१८-१२, ७५०-६, ७९३-१४, ७९८-४, १०९९-८,११००–४, ११०२७, ११०९ - २१, १११० - १३, ११२१–९, ११२२-११, ११४० - ९, ११४१-१६ For Private & Personal Use Only ११६७-१७ ११८०-२ ५६९-१४ १०६९-२५ भवं = भवान् ७००-१७, ७०१-१८, ८३१-२४, ८३२-१ भवाएस - वादेस ५११-१६, ५१२-५, ९०७ तः ९१६ तथा ९१९ तः ९२१ पृष्ठेषु, ९२३ - १७, ९२४३, ९२७-१६, ९३१ तः ९३५ पृष्ठेषु, ९३७ - ४, ९४०–१४, ९४४–७, ९४६ तः ९४९ पृष्ठेषु, ९५१-६, ९५४-२, ९५८-२३, ९५९ - २७, ९६०-७, ९६६१९, ९६७-१५, ९६८-८ ३७३-१७ ११२१-१२ ११०८-८ ११०८ - १४ ५६९-१९ ११२१-१३, ११२३-१९, ११५७-१६, ११५८-५, ११६८-२४ www.jainelibrary.org

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