Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१४३८
सो
भातित्ती = भ्रातृत्व
भाय
भायण = भाजन
=
नामान्तर
भायणपच्चइय
भायणपच्चय
""
"
1
भायणभूय
भाणवुट्ठि
भायत्ता = भ्रातृत्व
भाया = भ्राता
भाव
भार
,, = भार - मानविशेष भारग्गसो
=
पिटू - पंतीए
पृ० ५९९ टि० ४
८६-८, १००-१, ५४६-१३
१०५ - १९, १०६ - १,
७०७-५
आकाशास्तिकाय
बिइयं परिसि
सो
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८५६ - २१
३८०-२
३८०-८
६३०-२२
""
भारद्दाइ = गोशालकपरिवर्तितनाम ७१३-१८,
१७५-९
पृ० ५९९ टि० ४
७१४-१४
भारह [वास] १३० - १४, १३४ - ९, १३५२२, १४४-७, १४७-६, २९३-८, २९४-९, ४९४–१३, ४९६- १३,६८१–७, ७३३–६, ७४०-२, ७५६-२४, ७५७-५, ७५८-२०, ८००-१६, ८७७
८, ८७८-१
भारियत्ता = भारिकता
१९२६, २०८-८,
२७५-९
भार्यात्व
७४०-५
33
भारिया = भायी
३५६-७
२७९-४, ३८१-२ ७३३-१०
४६२–८, ५६०-१२, ५९५-१२, ५९६–१, ६९१
१५, ६९२-३, ७३३-७, ७४०-६
७-१०, ४६–४, १४३-१०, १५६४, २१० - २०, ३५०-१७, ३५१-२, ३७१–१०, ६३०१५, ६६७-१५, ६७७-१, ७७६-१९, ७७७-२, ७८१४, ७८३-१०, ७९७-४,
७९९ - २२,
१०१६-१९,
१०४०-२०,
भावअणुज्जयया
क भावओ
३९४-८
७४-६, ३४९-१९, ५३०-३,
६७६-२०, ९७४-१२
८५०-७
५०३-४
२८४-९
२१५-२२, २१६-१
भावकरण
भावकेउ = भावकेतु - महाग्रह
भावट्टया
भावद्वाणाउय
भावणा = भावना - आचाराङ्गद्वितीय
श्रुतस्कन्धस्य पञ्चदशाध्ययनम् ६९३-४
भावनाभावित
५४-१६, ५५-५
भावपरमाणु
भावबंध भाव लिंग
भावलेसा
भावलोय
भावविओसग्ग
भावतुल्लय
६७५-१४, ६७६-१९
११३-१२, ३५०-२
ॐ भावतो = भावतः भावदेव ६०२-४, ६०४ तः ६०७ पृष्ठेषु
पिट्ठ- पंतीए
८०७-१३,
१०१७ - ११,
१०४१-१,
१०५८-११
भावसच्च
भावाएस
भावाणुरत्त
भावातियंतियमरण
भावादेस
१०६७-२४, १०६८-४
७८३-१३
९५२-६
४६२-८
६५१-१८
२२०-३, २२१–९, ६६८ - १०,
९१७-४, ९१८-१२, ९५३-४
११८३ - १३
६५०-७, ६५१-३
५४-१६, ५५-५
भावाभाव भावावीचियमरण
८७०-८
८०५-२३, ८०६-११
१०२३-१५, १०४६-१६
६३ - १४, ५९०-१६
५२६-१७
भावित
भावियप्पणो = भावितात्मनः
१४३-१७, १४९-२२, ६६३-२१, ७५२
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१३, ८०५-६, ८२२-१६
* भावियप्पा = भावितात्मा १६३-४, ५४३
२१, ६५३-४, ८२७-११
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