Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१४४४
बिइयं परिसिटुं सदो
पिट्ठ-पंतीए । सदो मणप्पयोगपरिणय
३२७-१, ३३१-९, मणुस्स
३३२-१३, ३३३-८ मणमीसापरिणत-°णय ३३०-८,३३२-१ मणयोगि
११५५-८ मणविणय
१०६४-१०, १०६५-५ मणसमन्नाहरणया
७८३-१३ मणसमयवीतिकंत
६४८-१० मणसमिअ
८७-१७ मणसा-मनसा १९८-७, १९९-१७,
३५७-२, ३५८-१ मणसीकय
१३९-१५ * मणसीकर - मणसीकरेंति
१३९-१४ मणसुप्पणिहाण
८१७-७ मणसो=मनसः
१०३-२ मणाणुकूल ४६२-७, ५४५-१, ५९६-२ मणाम ८६-१६, ४६०-१५, ५३९-३ मणि १३०-२२, ३५५-१२, ४५१-११,
४६९-९, ५३७-१३, ५३९५, ५४०-१३, ५४१-१६, ५४४-२२, ५६२-२, ६०१
५, ६७३-७ मणिजमाण
६४८-९ मणिपेढिया ११२-१, ६७३-११, ६७४-५ मणिरयण
७०७-१७, ७०८-१ मणिरयणघंटिया मणुण्ण २.५-१७, ३१५-१८,३१६-१०,
४६०-१५, ५३९-३, ५९५-१५ मणुण्णसंपयोगसंपउत्त १०६६-१८ मणुन्न
८६-१६, ६८४-२१ मणुय २४४-२, २४५-१३, २९४-९,
२९५-१०, ३०६-६, ३०७
९,४०८-५, ८९०-१३ मणुय[भवग्गहण]
८४-२२ मणुयलोअ-°लोग = मनुष्यलोक २०९-१,
८११-११ मणुयाउय
पिट्ठ-पंतीए १०-१५, १२-८, २०-१३, २१
१७, ४२-३, ५६-३, ६०१८, १९३-१९, १९४-८, १९५-७, २०९-१, २१६१४, २१८-१, २२३-११, २२६-१८, २२७-८, २३६ - २१, २४६-१०, २७२-५, २८१ तः २८४ पृष्टेषु, २९१९, २९२-१०, २९९-७, ३०५-१०,३०६-१९,३०७२१, ३११-१३, ३२४-१६, ३२८-१४, ३२९-२२, ३३०१, ३३८-२४, ३४०-२१, ३४१-९, ३५३-१५, ३६५१०, ३६६-५, ३७२-८, ३७४-९, ३८५-२१, ३८६१७, ३८७-४, ३८९-९, ३९०-७, ४४४-३, ४४९१०, ४७९-१२, ५०७-४, ५१२-१४,५३५-१९,५३६१४, ५९०-७, ५९३-११, ५९४-२, ५९९-६, ६०२-७, ६०३-१, ६०५-१२, ६४११,६६०-१,६६२-१,६६५७, ६७१-१०, ६७६-१६, ६८४-१७, ७४६-१६, ७६११६, ७७६-१, ७७८-५, ७७९-५, ७९४-३, ७९५-३, ७९६-७, ७९८-२०, ८०५१७, ८१२-१०, ८१७-८, ८२४ तः ८२७ पृष्ठेषु, ८४२२१, ८४३-१७, ८८२-३, ९०४-१५,९१७-१७, ९२२१०, ९२५-१०, ९२६-२५, ९२८-१९, ९३०-४, ९३८७, ९४४-२१, ९४५-२१, ९५२-१०, ९५६ तः ९६१
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