Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१४३२
बिइयं परिसि
सो
सो
बीय = बीज - - वीर्य
९८-७ बेइंदिय
बीयजीवफुड
२८५-९
बीयरुहा = वनस्पतिभेद
९०१-१३
बी [वासा]
१७५-७
बी [ वुट्ठि ]
१७५-८
बीयस्य = द्वितीयशत
११२-१२
बीबी गजरण
६५४-१०
बीयामेत्ता : = बीजकमात्रा - बीजमात्रा २९५-८
१६३–१३, ४४७-२१
१५-१७, पृ० १६६ टि० ४
बुइय
* बुच्च
- बुच्चइ
* बुज्झ
- बुज्झइ
- बुज्झति
- बुज्झंति
- बुज्झामि
- बुज्झित्ता
- बुज्झिहिति - बुझिसु
- बुज्झेजा
बुद्ध बुद्धजागरिया
बुद्धि
बुद्धिविण्णाण
बुब्बुद
बुयमाण
बुह = बुधग्रह
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पिटू-पंतीए
८०३-१८
१३–६, २१८-८, ४१९२१, ७६४-२५, ७६५-३,
७६६-२
३३-१६, ४८१-८,
७१२-५, ७६२-२१
७८०-११
७४०-१३
बुहविबुद्दणमंसिया[सुयदेवया ] बूर = बूर - वनस्पतिविशेष बूरनालिया
- ब्रे = द्वे (न० प्र० द्वि०)
७४०-१३
२ -३, ६७-१४, ७६ - १४,
५६५-२१, ७८० - १२
""
"
५६५-१६
५४९-३
५३९-१६
४६१-५
१४९ - १५
१७१-१३
११८७ - १४
९९-७
९४५-६
बेइंदियओरालि यसरीप्पयोगबंध बेइं दियजीव
इंदियतिरिक्ख [जोणिय ]
पिट्ठ- पंतीए
९-५, ४१-१२, ७३–११, ११६–७, २१६-२०, २२३६, २९८ - १७, ३२८-११, ३२९-२, ३३८-१७, ३३९१९, ३४२-१०, ३८४ - १०, ४२१–९, ४४३–१२, ४८६-४, ५२८-१६, ६१०-५, ६६९१८, ६७१-२, ७३९-५, ७६८-३, ८०९-२०, ८१६२१, ८२६–२४, ८५३ - २, ८५५–४, ८८६–१, ८८७ - २३, ८८८-२१, ९३४–८, ९३७–१, ९४४-१५, ९४५-५, ९६९१५, ९८९ - १, १०७८-२, १०७९-२,
१०९७ - २५,
बेइदिय[तिरिक्खजोणिय पवेसणग]
इंदि[तेयास रपयोगबंध ]
बेदियत्ता
इंदियपयोगपरिणत - णय
बेदियावास
बेभेल
बेहिय = द्वयाहिक
""
बेंदिय
=
""
९०४-१९
४४३-२०
३९२-४
२५८-६
३१९-१५,
३२०-३, ३२४-९
५९९-२ १४४-८, ७४० - ३
२६१-८ - ज्वरविशेष १७२-१९ ४४१–७, ४२१–१६, ८१०-२, ८२६-७, ८५३–८, ८५५-२, ८८४–९, ९३५–१, ९७० - २, ९७२ - २०,
११६१-४,
१०८४ - १, ११००–२०, ११६३-७
३८३ - २०
५१२-३
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बेंदिय[ओरालिय सरीर कायप्पयोगपरिणय ]
११६०-५,
११६३ - १५,
११६४ -११, ११८५-९
३२७-२५
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