Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 408
________________ वियाहपण्णत्तिसुत तग्गयाणं सद्दाणमणुक मो सो पिटू - पंतीए सो बावीसतिम ९००-६ बि ९०-३ -fafoor द्वौ १५२-२० तिम् [भ] बावीसवास सहस्सद्वितीय ९३० -१५, ९३१ बिइयसय ४५२-११ बितिउद्देस्य ९६९-९ ७, ९३२-५, ९३४- १२, ९३८ - १३, ९३९-२१ बितिय २४- २२, १२३ - ३, २०७-३, ९३६-२४ ३६७-६, ५९४-८, ६२८-७, ८५८ - १३, ९०२ -८, १०७२१, ११०७-३ ७७१-१६, ७८९-१३ ११८४-६ ३१३-७ बावीसवास सह[स्सद्वितीय] बावीससयभागमुहुत्तभाग बावीस सागरोवमद्वितीय ९१५–२४, ९१७ ५३४-१८ बाहा बाहु - हस्त १, ९२१-७ बावीसा ६३३-३, ९३७-११, ९४०-१६, ९४१–१, ९४२-९ ९५-१५, ९६–४, ११०–७, १४१–९, २५५–१७, ६२८-७ १२७-२१, १३१-१३, १३२ -८, २०३-४, ४१४-४, ५१८-३, ५५७-१९, ६५९१, ७०० - १०, ७०२-१२, ७०४-२, ७२८-२१, ७३६४, ७५२-१५ = बाहल बाहिर बाहिरतो बाहिरपरिसय बाहिरबाहिर बाहिर भंडमत्तोवगरणपरिग्गह बाहिर भंडम तोचगरणोवहि बाहिरय बाहिरिया बाहिरिल्ल २५१-१० ५३७-१२ ६६२-१० ६६२-११ ८१६-१० ८१५-१६ १६१-२३, २१६-२०, ३०३ बाहु बाहुल वि. ३/२४ ११, ६७१-१४, ७५५- १७, १०६१-२ ३०९–४, ४५१-१९, ५४०२२, ६४४-१४ ११०-१४, २४७ - १८, ११२९१३, ११३० - १६, ११३१-२ ५९-६, १५९-१४ बा बाहिंखरियत्ता == नगरबहिर्वर्ति वेश्यात्व Jain Education International ७३९-१७ ७७०-१ ५९७-१८ बितिय उद्दे बितियदिवस बितियसत बितिय समय १५७-२२ ११५३-१ बितिय समय कण्हलेस्स बितियसय ३६६-२४, ५२३-७, ५२८-५, ६२२ -३, ६३१-३, ६४०- ७, ६९०-१८, ८५५-१३ बितिया [तिहि ] बिब्बोयण = उपधानक बिल ५९४-८ ५३७-१६ २१७-२, २७९-४, २९४-३, २९५-१३, ७३१-१५ २१७–५, ३८२-४ २९५-८ ८९८-१२ ६००-२१, ६०१-५ ११८४-२ ८५४-६ १५७-८, २१२ – ३, २३१-१५, ४६१–६ १५९-१७ ४६२-१५ २२-३, ७३ - ४, १०५-१८, १६७ - १८, २५५ - १२, ९८७११, ११४९–१२ 33 = बीज १५९ - १८, २५९-२, २८५<, ४६४-५, ४८४-२४, ५२०-१४, ७७५-१, ८९३. १९, ८९४–१२, ८९७ - १७, ८९८-१७, ८९९-२ बिलपंतिया बिलवासि बिल्ल बिसरीर बिंट बिंदिय बिंदु १४३१ पिट्ठ- पंतीए बीज बीभच्छ बीय = द्वितीय For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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