Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 350
________________ वियाहपण्णत्ति सुत्तंतग्गयाणं सद्दाणमणुकमो पिटू - पंतीए ६५८-२१, ६७८-२, ७५४-१७,८३९-१९,८४०-९ निकरण निकरण - कारण ३२-१५, ३००-४ * निकाय - निकाइस्संति - निकाइंति सहो निउणसिप्पोवगय • निकाइंस - निकाएंति • निकायंति - निकायंसु - निकाय निकायण निकास = निकर्ष निक्कल निक्कंखिय * निक्खम - निक्खमइ - निक्खमति १०१७-५ निकुरूंबभूय ६५६ - १, ७०६-११, ७२८-१ * निक्कम - निक्कमइ - निक्कमति निक्खमण निक्खमण पाउग्ग ५-११ पृ० ५ टि० १५, पृ० ६ टि०७ पृ० ५ टि० १५ निक्खमणमह निक्खमणमहिमा निक्खमणाभिसेय निक्खित्तसत्थमुसल * निक्खिव • निक्खिवति निक्खिवमाण 1 निक्खेव ५-१० पृ० ५ टि० १६ Jain Education International ५-१० ६-१० ५-१३ १४२-६ ६६२-१८ ४६५-८, ६४५-६ निक्खंत ३६३-७ निक्खित्त ५६२ - २, ७७८-१५, ८२२-२२ २७८-२३ पृ० ७५ टि० ४-५-६ पृ० ७५ टि०६ ७०७-२० १००-८ ७५-७, ७४३-१२ १९०-६ ४६४-२४ ४६६-१५ ७४४-१३ १५७–२१, २७६ - २३, २९६ –१४, ७४४–१२ ५२२-२०, ५२३-१६, ५२४–१९, ६१४-११, ५५८ १०, ८०५-१९ १३७३ पिट्ठ- पंतीए ८७-१६ ९१४-२६ निगम = निगम जननिवासस्थान १४-१० निगर = निकर ७०८-१३ * निगिण्ह सो निक्खेवणा निक्खेवय • निगिण्हइ ४५८-८, ४५९-१३ ३११-२ - निगिण्हति - निगिण्हित्ता ३१० - ७, ३१२-२, ४५८-८, ४५९-१३ निगोद = निगोद - अनन्तजीवशरीर १०१६-१२ - कुटुम्ब २९५-८ - = * निग्गच्छ " " - निगच्छइ ७८-१९, १४७-१३, ४५८–६, ७१०–१, ८२९–१ - निग्गच्छति ७७–२, ११९-९, ४५२-२, ५२५-१५, ६४६–६, ७१११७, ८१८-३ १३५-५, ४५६-५, ५४२-८ ७९-१२, १३३-१०, ५३३-१६, ८१८-३ ४७२-११ निग्गच्छमाण निग्गत १५-१४, ७३-८, ७५९-२ निग्गय = निर्गत २ - ५, ४०६ -८, ४२०-१५, ५६०-१६, ६६०-४, ८०१-२ निग्गंथ = निर्ग्रन्थ ३०-४, ६४-५, ६८-२, १५५-२०, २३०-१३, २३१८, २७७-१२, २७८-४, ३६११५, ३६२–१, ३६३-७,३७१२३, ३७२-२, ४६३-२०, ४७८-१, ४७९-५, ६७८ - १७, ६८५-१८, ६८६-५, ७१०२६,७११–२,७१९-५, ७२०१, ७२१–२, ७२९–७, ७३४१५, ७३५-३, ७४२–५, ७४९–२, ७५३-७, ७५४–४, ७५५-२, ८०४-६, ८२४-१२, ८३०-१९, ९८७-९ निग्गच्छंति • निग्गच्छित्ता For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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