Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 358
________________ सो वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सद्दाणमणुक्कमो १३८१ पिट्ठ-पंतीए । सद्दो पिट्ठ-पंतीए नेरइयप्पवेसणय ४२७-८,४३०-२४, ७९७-१४, ८०७-१६, ८०९४३४-५, ४३५-५, ४३७ १४, ८१०-३, ८१६-११, ५, ४३८-४, ४४०-४ ८४३-४, ८४६-१०, ८४८नेरइयभवग्गहण ८४-२२, ८५-१०, ८,८५०-९,८७४-६,८८१४१६-५ २५, ८८२-७, ८८३-१, नेरइय[भवग्गहण] ४८१-७ ८८६-५, ८८८-३, ८८९-७, नेरइयवतिरिक्त ६७५-१५ ९६४-७, ९८७-१६, ९८८नेरइयसंसारविओसग्ग १०६८-१० १५, ९८९-१, ९९२-१, नेरइयसंसारसंचिट्ठणकाल २३-२ १०६८-२२ १ ०७४-७, नेरइयाइ ८५१-४ १०७७-१३, १०७८-१८, नेरइयाउय २४-९,५६-३,५७-१, ६५९ १०७९-८, १०८२-४, १९, ६६०-१३, ८१२-९, १०८३-५, १०८४-७, १०९६-१, १०९७-३, १०८६-१५, १०९०-१२, १०९८-१ १०९४-१, १०९८-१९, नेरइयाउयकम्मासरीरप्पओग ११००-१५, ११७३-२० . [नामकम्म] ३९३-२३ नेरतियखेत्तेयणा ७८१-२० नेरइयाउथकम्मासरीरप्पयोगबंध ३९३-२१ नेरतियत्ता ६०१-१४ नेरइयाउयत्ता ६५०-१३, ६५१-२ नेरतियदव्व ७८१-१३ नेरइयावास ५८९-१५ नेरतियदग्वेयणा ७८१-११ नेरई[दिसा] ४८७-३ नेरतियपवेसणय ४३६-७, ४४१-२ नेरतिय ४-५,१२-९,१९-१०,३५-२२, नेरतियपंचिंदियपयोगपरिणत ३२०-६ ३७-११, ३८-५, ४०-१५, नेरतियभाव ७९७-१४ ४१-१२, १८०-१०, २०४- नेरतियाउय १९३-९, २९०-७, १७, २२२-२, २२४-१०, १०९४-१३ २३६-२१, २४३-१, २४४- नेरतियावास ८११-२२ १८, २४६-११, २७१-९, नेरती दिसा] ४८५-१०, ६२०-२ २७२-७, २७६-१३, २८२-६, नेरयिय ११७८-११ २८५ तः २८८ पृष्ठेषु, २९२-८, नेव= नैव १८६-२२, १८७-२१, २९३-४, ३४०-१६, ३४१ ५३०-६, ७७०-१२ ३, ४३५-५, ४३६-७,४४३- नो ४-१०, ११-१०,५९-१८, १३, ४४६-१८, ४४७-४, २०१-३, २६१-९ ५३६-१४, ६०३-६, ६०४ नोअधम्मत्थिकाय ११६-१२ नोअन्नयर ४८२-२० १, ६१८-२५, ६२०-१०, नोअसंजय ७९५-८ ६२६-८, ६२७-२, ६३९-११, नोआणयदेवत्त ३९०-११ ६६९-४, ६७०-१७, ६७२- नोआस = नोऽश्व ४८२-१५ ५, ६८४-१०, ७७७-२१, नोइत्थी-नोपुरिसो-नोनपुंसग-°सय ३७२-१५, ७७९-७,७८१-१३, ७९३-५, ३७४-११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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