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विषेक-चूसमणि
__ मनोमय कोश भी आद्यन्तवान् , परिणामी, दुःखात्मक और विषयरूप होनेके कारण परात्मा नहीं हो सकता, क्योंकि द्रष्टा कभी दृश्यरूप नहीं देखा गया।
विज्ञानमय कोश बुद्धिर्बुद्धीन्द्रियैः साधं सवृत्तिः कर्तृलक्षणः । विज्ञानमयकोशः स्यात्पुंसः संसारकारणम् ॥१८६॥
ज्ञानेन्द्रियोंके साथ वृत्तियुक्त बुद्धि ही कर्तापनके स्वभाववाला विज्ञानमय कोश है, जो पुरुषके [जन्म-मरणरूप] संसारका कारण है।
अनुव्रजचित्प्रतिविम्बशक्ति___www. विज्ञानसंज्ञः in प्रकृतेर्विकारः। ज्ञानक्रियावानहमित्यजत्रं
देहेन्द्रियादिष्वभिमन्यते भृशम् ॥१८७॥ चित्त और इन्द्रियादिका अनुगमन करनेवाली चेतनकी प्रतिबिम्बशक्ति ही विज्ञान' नामक प्रकृतिका विकार है । वह मैं ज्ञान और क्रियावान् हूँ' ऐसा देह-इन्द्रिय आदिमें निरन्तर अभिमान किया करता है। अनादिकालोऽयमहस्वभावो
जीवः समस्तव्यवहारवोढा । करोति कर्माण्यपि पूर्ववासनः
पुण्यान्यपुण्यानि च तत्फलानि ॥१८८॥ भुङ्क्ते विचित्रास्वपि योनिषु व्रज..', मायाति-निर्यात्यध ऊर्ध्व मेष:
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