Book Title: Upasakdasha Shrutam
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Atmanand Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ 'तुरुकधुव नि' सेल्डकलक्षणों धूपः ॥ ॥ पंजविहि नि थाहारप्रकारम । कपन नि' मुद्रादिपा घृतलिननाडलप्या वा ॥ 5 ॥ भक्व नि ' ग्वरविशदमभ्यवहार्य भक्षमिन्यन्यत्र रूहम, इट मुपकान्नमात्र नदिक्षितम । 'यषण नि' घृताः प्रमिहाः । ग्वण्टम्बल नि ' खण्टलिप्तानि खाद्यानि अशोकवर्नयः खण्टरवाद्यानि ॥ ३४ ॥ तयाणन्तरं च णं आयणविहिपरिमाणं करेड़ । नन्नत्थ कलमसालिओयणणं, अवसेस ओयणविहिं पञ्चक्वामि ३ ॥ ३५ ॥ तयाणन्तरं च ण सूवविहिपरिमाणं करेइ । नन्नत्थ कलायमूवण वा मुग्गमाससूवेण वा, अवसेसं सूवविहिं पच्चक्खामि ३ ॥ ३६ ॥ तयाणन्तरं च ण घयविहिपरिमाणं करेइ । नन्नत्थ सारइएणं गाघयमण्डेणं, अवसेसं घयविहिं पञ्चक्वामि ३॥ ३७॥ 'ओयण नि' ओदनः करं । 'कलमसालि ति' पूर्वदेशप्रसिडः ।। ३ । 'मृब नि मपः दालिः करम्य द्वितीयाशनं प्रसिद्ध पत्र । कलायमूवे नि ' कलायाश्चणकाकारा धान्य विशेषा मुद्दा माषाश्च प्रसिहाः ॥ ३६॥ 'माग्दएणं गोघयमण्टणं ति' शारदिकेन | शरकालोत्पन्नेन गोघृतमण्डेन गोघृतसारेण ॥ ७॥ तयाणन्तरं च णं सागविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ वत्थुसाएण वा चूच्चुसाएण वा तुंबसाएण वा सुत्थियसाएण वा मण्डुकियसाएण वा, अवसेसं सागविहिं पञ्चक्खामि ३॥३८॥ तयाणन्तरं च णं माहुरयविहि

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118