Book Title: Upasakdasha Shrutam
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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उपासक
॥५॥
तयाणन्तरं चणं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ । नन्नत्थ अगरुकुङ्कुमचन्दणमाइएहिं अवसेसं विलेपिञ्चखामि ३ ॥ २९ ॥ तयाणन्तरं च पुष्कविहिपरिमाणं करेइ । नन्नत्थ एगेणं सुद्धपरमेणं मालइ कुसुमदामेण वा, अवसेसं पुष्पविहिं पञ्चक्खामि ३ ॥ ३० ॥ तयाणन्तरं च णं आभरणविहिपरिमाकरे । नन्नत्थ मकण्णेजएहिं नाममुद्दाए य, अवसेसं आभरणविहिं पञ्चस्वामि ३ ॥ ३१ ॥
'अगरु ति ' अगुरुर्गन्धद्रव्यविशेषः ॥ २९ ॥ सुद्धपरमेणं ति कुसुमान्तरवियुतं पुण्डरीकं वा शुडपड, ततोऽन्यत्र ॥ पालइकुमा त्ति' जातिपुपमाला ॥ ३० ॥ मट्टकज्जरहिं ति मृष्टाभ्यामचित्रवद्द्भ्यां कर्णाभरणविशेषान्याम ॥ ' नाममुदत्ति नामाङ्किता मुद्रा अली नाममुद्रा ।। ३१ ।
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तयाणन्तरं चणं धूवणविहिपरिमाणं करेइ । नन्नत्थ अगरुतुरुकवमाइएहिं अवसेसं धूवणविहिं प३ ॥ ३२ ॥ तयाणन्तरं च णं भायणविहिपरिमाणं करमाणे पंजविहिपरिमाणं करेइ । नन्नत्थ एगाए कद्रपजाए, अवसेसं पेजविहिं पञ्चकस्वामि ३ ॥ ३३ ॥ तयाणन्तरं च णं भक्वविहिपरिमाणं करेइ । aar एहिं agoणेहिं खण्डखजएहिं वा. अवसेस भक्वविहिं पञ्चकवामि ३ ॥ ३४ ॥
दशाङ्गम.
॥ ५ ॥

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