Book Title: Upasakdasha Shrutam
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Atmanand Jain Sabha
View full book text
________________
उपासक॥ ४३ ॥
सपुर नगरस बहिया पञ्च कुम्भकारावणसया होत्था । तत्थ णं बहवे पुरिसा दिष्णभइभत्ता काकलिं बहवे करए य वारए य पिहडए य घडए य अघडए य कलसए य अलिए य ज य उड़ियाओ य करेन्ति, अन्न व से बहवे पुरिसा दिष्णभइभत्तवेषणा कलाकलितेहि बहुहिं करएहि वजाउडियाह य रायमरसि विनिं कप्पेमाणा विहरन्ति ॥ १८४ ॥
'दिष्ण ति' दत्तपं द्रव्यभोजनलक्षणं वेतनं मूल्ये येषां ते तथा 'लत' | बहून कर कान्वार्यटिका, वारकवि-गडुकान, पिटरकान-स्थालीः घटकान-प्रतीतान, अटक-पटाईमानान, कलका-आकारविशेषवतो कान, अलिअणि च महदुदकभाजनविशेषान् जम्बूलकांध-लोकरूच्यावरीयान, उष्ट्रिकांच- सुरातैलादिमाननविशेषान् ॥ १८॥ तए णं से सदालपुत्ते आजीविओवासए अन्नया कयाइ पुत्रावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया बाग, रत्ता गोसालस मङ्गलिपुत्तस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तं उवसम्पजित्ताणं विहरइ ॥ १८५ ॥ तणं तमालपुत्तस्स बाजीविओवासगस्त एगे देवे अन्तियं पाउम्भवा ॥ १८६॥ तए णं से देवे अन्तक्विपनि सखिडिशियाई जाय परिहिए सालपुत्तं आजीविआवास एवं वासी, एहि पं. cartoon! क इह महामहणे उत्पन्नणाणदंसणघरे तीयपपन्नानागयजाणए अरहा जिणे केवली
Вы

Page Navigation
1 ... 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118